Uttarakhand Tunnel: अमेरिकी मशीनों के लगातार धोखे के बाद अब मैन्युअल ड्रिलिंग के सहारे होगा रेस्क्यू ऑपरेशन!

Uttarakhand Tunnel: शनिवार की सुबह एक बड़ी ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी की ओर ले जाया गया, जहां वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए विशेषज्ञों ने सबसे कम ऊंचाई वाले दो स्थानों की पहचान की है।

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ऑगर मशीन के टूटे हुए पार्ट्स

Uttarakhand Tunnel: उत्तराखंड सुरंग हादसे में अमेरिकी ऑगर मशीनों के लगातार खराब होने के कारण अब रेस्क्यू ऑपरेशन में और देरी होनी तय है। एक के बाद एक कई ऑगर मशीनें मलबे की ड्रिलिंग में टूट चुकी है। कहने को तो मजदूरों और ड्रिलिंग के बीच मुश्किल से 10-15 मीटर की दूरी बची है, लेकिन यहां आकर अब मशीनें बेकार हो गई हैं। जिसके बाद अब मैन्युअल ड्रिलिंग के सहारे मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

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क्या बोले बचाव अधिकारी

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने शनिवार को कहा कि सिल्कयारा सुरंग में बचाव अभियान में समय लगेगा और अब ध्यान मैन्युअल ड्रिलिंग पर है। एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ऑगर ड्रिलिंग मशीन के रास्ते में बाधाएं आने के बाद इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है। एनडीएमए सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, "इसे रोक दिया गया है। अब खुदाई का मैनुअल तरीका अपनाया जा रहा है।"

वर्टिकल ड्रिलिंग की भी तैयारी

शनिवार की सुबह एक बड़ी ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी की ओर ले जाया गया, जहां वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए विशेषज्ञों ने सबसे कम ऊंचाई वाले दो स्थानों की पहचान की है। बीआरओ ने सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बना दी है, क्योंकि वर्टिकल ड्रिलिंग पर कुछ समय पहले से ही विचार किया जा रहा है।

जटिल प्रक्रिया

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कुछ दिन पहले कहा था कि वर्टिकल ड्रिलिंग अधिक समय लेने वाला और जटिल विकल्प है, जिसके लिए सुरंग के ऊपरी हिस्से पर अपेक्षाकृत संकीर्ण जगह के कारण अधिक सटीकता और सावधानी बरतने की आवश्कयता होती है।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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