सुरंग में फंसे मजदूरों की संख्या बढ़कर हुई 41, बचाव अभियान में आई रुकावट; 10 प्वॉइंट्स में जानें सारा अपडेट

Silkyara Tunnel Collapse Updates: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर फंसे श्रमिकों की संख्या 40 से बढ़कर अब 41 हो गई है। रास्ता बनाने के कार्य में फिर रुकावट आने से 41 श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया है। 10 पॉइंट्स में समझिए अब तक क्या-क्या हुआ।

Uttarkashi tunnel

टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम जारी, जानें अपडेट।

Uttarkashi Tunnel News: निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में मलबे को भेदकर श्रमिकों तक पहुंचने का रास्ता बनाने के कार्य में फिर रुकावट आने से पिछले छह दिन से सुरंग में फंसे उन 41 श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया है जो बाहर निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर फंसे श्रमिकों की संख्या 40 से बढ़कर अब 41 हो गई है। आपको 10 पॉइंट्स में समझाते हैं कि अब तक क्या-क्या हुआ।

सुरंग में फंसे श्रमिकों की संख्या बढ़कर 41 हुई

उत्तरकाशी जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र की ओर से जारी सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की ताजा सूची से यह जानकारी मिली। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक सप्ताह से युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी है। लेकिन अभियान के छठे दिन निर्माण कंपनी को पता चला कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग में फंसे श्रमिकों में बिहार के मुजफफरपुर जिले के निवासी दीपक कुमार पटेल भी शामिल हैं। पटेल को मिलाकर सुरंग में फंसे बिहार निवासी के श्रमिकों की संख्या बढ़कर पांच हो गयी है।

बचाव अभियान में रुकावट, मजदूरों का इंतजार बढ़ा

उत्तरकाशी जिला आपातकालीन नियंत्रण कक्ष से शनिवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, फिलहाल सुरंग में ड्रिलिंग का काम रुका हुआ है। इसके अनुसार, इंदौर से एक और भारी एवं शक्तिशाली ऑगर मशीन के आने का इंतजार किया जा रहा है। यह मशीन देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी है जहां से इसे ट्रक के जरिए सिलक्यारा लाया जा रहा है।

बार-बार रुक ड्रिलिंग के काम में आ रही रुकावट

इससे पहले, सुरंग में मलबे को भेदने के लिए दिल्ली से एक अमेरिकी ऑगर मशीन लाई गयी थी जिसने शुक्रवार दोपहर तक 22 मीटर तक ड्रिलिंग कर चार पाइप डाल दिए थे। हालांकि, बाद में ड्रिलिंग का काम रुक गया। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बड़े व्यास के स्टील पाइपों से 'एस्केप टनल' तैयार करने हेतु अधिक क्षमता की अमेरिकी ऑगर मशीन से फिर ड्रिलिंग शुरू कर मलबे को भेदने के प्रयास किए गए, लेकिन बार-बार फिर एक बार काम रुक गया।

सुरंग में 45 से 60 मीटर तक जमा है मलबा

12 नंवबर की सुबह हुए हादसे के बाद से लगातार चलाए जा रहे बचाव अभियान की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने शुक्रवार शाम कहा था कि मलबे में ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए हैं जबकि पांचवें पाइप को डालने की कार्रवाई चल रही है। उन्होंने बताया कि चौथे पाइप का अंतिम दो मीटर हिस्सा बाहर रखा गया है जिससे पाचवें पाइप को ठीक तरह से जोड़कर उसे अंदर डाला जा सके। बताया जा रहा है कि सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है।

डीजल से चलने के कारण मशीन की गति धीमी

यह पूछे जाने पर कि मशीन प्रति घंटा चार-पांच मीटर मलबे को भेदने की अपनी अपेक्षित गति क्यों नहीं हासिल कर पाई, इस पर उन्होंने कहा कि पाइप को डालने से पहले उनका संरेखण करने तथा जोड़ने में समय लगता है। खाल्को ने यह भी दावा किया कि डीजल से चलने के कारण ड्रिलिंग मशीन की गति धीमी है। उन्होंने कहा कि बीच-बीच में ड्रिलिंग को रोकना भी पड़ता है क्योंकि भारी मशीन को हवा का आवागमन चाहिए और मशीन में कंपन होने से आसपास का संतुलन खराब होने से मलबा गिरने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

मशीन को 'बैकअप' के तहत लाया जा रहा है!

इंदौर से आ रही मशीन के बारे में एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि इस मशीन को 'बैकअप' के तहत लाया जा रहा है जिससे बचाव अभियान निर्बाध रूप से चलता रहे। हालांकि, मौके पर मौजूद सूत्रों ने बताया कि मशीन में तकनीकी खराबी आ गयी है और इसलिए इंदौर से नई मशीन मंगाई जा रही है।

श्रमिकों को बाहर निकालने की कोशिशों में रुकावट

ड्रिलिंग कार्य भी शुक्रवार दोपहर से बंद है। बचाव अभियान में लगे एक अधिकारी ने नाम उजागर न किए जाने की शर्त पर बताया कि इंदौर से ऑगर मशीन के आने के बाद ही कार्य फिर से शुरू होगा। यह दूसरी बार है जब सुरंग के मलबे को भेदकर स्टील के कई पाइप के जरिए ‘निकलने का रास्ता’ बनाकर श्रमिकों को बाहर निकालने की योजना पर अमल के दौरान रुकावट आयी है।

ऑगर मशीन से मलबे में शुरू हुई थी ड्रिलिंग

इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गयी थी, लेकिन इस दौरान भूस्खलन होने तथा मशीन में तकनीकी समस्या आने के कारण काम को बीच में रोकना पड़ा था। योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 900 मिमी बड़े व्यास के छह मीटर लंबे पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक रास्ता बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं।

परिजनों से भी बात कराई जा रही मजदूरों की बात

इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को लगातार खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें ऑक्सीजन, बिजली, दवाई और पानी भी पाइप के जरिए निरंतर पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों से निरंतर बातचीत जारी है और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई जा रही है। उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएस पंवार ने कहा कि सुरंग के पास एक छह बिस्तरों का अस्थाई चिकित्सालय तैयार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि मौके पर 10 एंबुलेंस के साथ कई मेडिकल टीम भी तैनात हैं ताकि श्रमिकों को बाहर निकलने पर उन्हें तत्काल चिकित्सकीय मदद दी जा सके।

बचाव कार्यों में जुटा 160 बचावकर्मियों का दल

चारधाम परियोजना के तहत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग का सिलक्यारा की ओर के मुहाने से 270 मीटर अंदर एक हिस्सा ढह गया था जिससे उसमें फंसे 41 श्रमिकों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हें निकालने के लिए युद्वस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन के 160 बचावकर्मियों का दल दिन रात बचाव कार्यों में जुटा हुआ है।
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