'साहेब हमें बचा लो...', सुरंग में फंसे मजदूरों के दिल का दर्द सुनिए!
Pain Of Uttarakhand Tunnel Workers: 150 घंटे से अधिक का वक्त गुजर चुका है, उत्तरकाशी जिले में ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के घरवाले आस लगाए बैठे हैं। जरा सोचिए इस वक्त उन श्रमिकों के दिल में क्या चल रहा होगा?
किस हाल में होंगे सुरंग में फंसे 40 मजदूर?
Uttarkashi Tunnel Collapse Update: चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा, पत्थरों से घिरे हुए, जिंदगी कब दगाबाजी कर दे ये किसी को मालूम नहीं, बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है इसका बीते 6 दिनों से कोई अंदाजा नहीं। उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को अंदर क्या-क्या झेलना पड़ रहा होगा, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है। 150 घंटे से अधिक का वक्त गुजर चुका है, इन 41 मजदूरों के अपनों की सिसकियां शायद कोई नहीं सुन पाएगा। इन मजदूरों और इनके अपनों के दिल में सिर्फ उम्मीदें हैं। मजदूरों को उम्मीद है कि वो बाहर आकर अपने अपनों के पास जा सकेंगे और इनके अपनों को उम्मीद है कि सुरंग में फंसे उनके अपने जल्द बाहर आएं और वो उन्हें गले लगा सकें।
उन 41 मजदूरों के दिल का दर्द
जब 12 नवंबर को सुबह 11 बजे के पास ये खबर मिली कि निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा रविवार तड़के अचानक टूट गया जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक अंदर फंस गए। हादसा सिलक्यारा की तरफ तड़के करीब चार बजे हुआ जब साढ़े चार किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन सुरंग का करीब 150 मीटर हिस्सा टूट गया। मजदूरों से संपर्क साधा गया, भोजन-पानी और ऑक्सीजन पहुंचाया गया। बीते 6 दिनों से उन्हें इस बात का भरोसा दिया जा रहा है कि उन्हें 100 फीसदी बचा लिया जाएगा, मगर इन 41 मजदूरों के जेहन में खौफ पल रहा होगा, वो अपने दिल का दर्द इस वक्त किसी को नहीं सुना पा रहे होंगे। सुंरग में अंधेरा ही अंधेरा होगा और इन अंधेरों के बीच उनके मन में ये डर पल रहा होगा कि क्या अब वो अपने अपनों से मिल भी पाएंगे या नहीं। जरा सोचिए, वो सभी मजदूर इस वक्त क्या सोच रहे होंगे?
सुरंग में फंसे मजदूरों की आवाज!साहेब हम मजदूर हैं, हमें बचा लो।
भूखे हैं, प्यासे हैं। अंधेरों में दबे से हैं।
गांव छोड़कर हम आए, पलायन कर के पछताए।
घर की रोटी खाने दो, साहेब हम मजदूर हैं, हमें बचा लो।
वो जो दूर हैं हमारे अपने, उनकी सिसकियां नहीं सुन पाएगा कोई।
गांव में बूढ़ी मां हैं हमारी, जो आस लगाए बैठी है दुआरे पर।
बाऊ भी हैं, जो ये सब जानकर हाथ धरे खड़े हैं कपारे पर।
गद्देगार बिस्तर पर बैठकर हमारे माई-बाऊ का दर्द नहीं समझ पाएगा कोई।
जब हमें फटे कपड़े में देखता है तो मुंह नाक जरूर बनाता है हर कोई।
लोगों के आराम और सुविधा की खातिर हम दिन रात काम करके सुरंग बनाते हैं।
चंद रुपये और दो वक्त की रोटी की खातिर हम अपना खून पसीना बहाते हैं।
बीवी, बच्चे, माता-पिता को कमाई का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा भेज देते हैं।
खुद यहां रूखा-सूखा खाकर, अपनी जिंदगी खुशी-खुशी गुजार देते हैं।
हमें अपना दर्द सुनाने दो, साहेब हम मजदूर हैं, हमें बचा लो।
सुरंग में फंसे उन 41 मजदूरों को जानिए
ऐसा नहीं है कि सुरंग में फंसे मजदूरों ने अपनी उम्मीद छोड़ दी होगी, उन्हें ये भरोसा होगा कि वो बाहर आएंगे और अपने अपनों से जरूर मिलेंगे। मगर बाहर आने के बाद क्या वो उसी हाल में होंगे? क्या उनके ऊपर मानसिक तौर पर कोई असर नहीं पड़ा होगा। आपको उन 41 मजदूरों से रूबरू करवाते हैं, जो बीते 150 घंटे से सुरंग में फंसे हुए हैं। शनिवार को अंदर फंसे श्रमिकों की संख्या 40 से बढ़कर 41 हो गई है। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की ताजा सूची से यह जानकारी मिली।
- उत्तराखंड के कोटद्वार के गब्बर सिंह नेगी
- बिहार के भोजपुर के सबाह अहमद
- बिहार के साहनी के सोनू शाह
- बिहार के कटोरिया के वीरेंद्र किसकू
- पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के मनिर तालुकदार
- पश्चिम बंगाल के हरीनाखली के सेविक पखेरा
- पश्चिम बंगाल के हुगली के जयदेव परमानिक
- उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के अखिलेश कुमार
- ओडिशा के सनकरसनापुर के तपन मंडल
- बिहार के चंदनपुर के सुशील कुमार
- झारखंड के सिमराधाब के विश्वजीत कुमार
- झारखंड के सिमराधाब के सुबोध कुमार
- ओडिशा के नवरंगपुर के भगवान बत्रा
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर कला के अंकित
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर के राम मिलन
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर के सत्यदेव
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर के संतोष
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर के जय प्रकाश
- उत्तर प्रदेश के मोतीपुर के राम सुंदर
- उत्तर प्रदेश के भेरमपुर मंघा खीरी के मंजीत
- झारखंड के रांची के अनिल बेदिया
- झारखंड के रांची के श्राजेद्र बेदिया
- झारखंड के रांची के सुकराम
- झारखंड के दुमरिया के टिंकू सरदार
- झारखंड के मणिकपुर बाराबोतला के गुनोधर
- झारखंड के मणिकपुर बाराबोतला के रनजीत
- झारखंड के मणिकपुर दुमरिया के रविंद्र
- झारखंड के बन्कीसोल दुमरिया के समीर
- ओडिशा के मयूरबंज के विशेषर नायक
- ओडिशा के मयूरबंज के राजू नायक
- पश्चिम बंगाल के पश्चिमी सिंहभूम के महादेव
- झारखंड के बांकीसोल के भुक्तू मुर्मू
- ओडिशा के कुंडालुका के धीरेन
- झारखंड के लरता कुर्रा के चमरा उरांव
- झारखंड के गुमड लरता के विजय होरो
- झारखंड के मदुगामा कुर्रा के गणपति
- असम के रामफलबिल कोकराजहर के संजय
- असम के रामफलबिल कोकराजहर के राम प्रसाद
- हिमाचल प्रदेश के मंडी के विशाल
- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के पुष्कर
- बिहार के मुजफफरपुर के दीपक कुमार पटेल
ये वही 41 मजदूर हैं, जो ये आस लगाए बैठे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकाला जाएगा। मगर सवाल यही है कि आखिर कब तक? वॉकी-टॉकी के जरिए सुरंग में फंसे लोगों से संपर्क किया जाता है और वैसे तो सभी श्रमिक सुरक्षित हैं। सुरंग में पानी के लिए बिछाई गई पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए कंप्रेसर की मदद से दबाव बनाकर श्रमिकों तक भोजन के पैकेट भेजे जा रहे हैं। मगर कब तक ये मजदूर इसी तरह फंसे रहेंगे?
मजदूरों को को मनोवैज्ञानिक परामर्श की जरूरत
मजदूर इतने दिनों से सुरंग में फंसे हैं, वो किस हाल में हैं, उनकी मानसिक स्थिति कैसी है और उनके जेहन में कितना खौफ पसरा हुआ है? कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर चिकित्सकों ने यह सलाह दी है कि उत्तराखंड में निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने से उसमें फंसे श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के बाद उनकी शारीरिक फिटनेस की जांच करने के साथ ही उन्हें मनोवैज्ञानिक परीक्षण और परामर्श से गुजरना होगा।
चारधाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने से उसमें कुल 41 मजदूर फंस गए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें पाइप के जरिये लगातार ऑक्सीजन, बिजली, दवाएं, खाद्य सामग्री और पानी की आपूर्ति की जा रही है। चिकित्सकों ने कहा कि यह घटना जीवित बचे लोगों के लिए सदमे की तरह हो सकती है क्योंकि वे शारीरिक तनाव के साथ-साथ मानसिक तनाव से भी गुजर रहे होंगे। फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के 'इंटरनल मेडिसिन' विभाग के निदेशक डॉ. अजय अग्रवाल ने कहा कि लंबे समय तक बंद स्थानों में फंसे रहने के कारण व्यक्तियों को घबराहट के दौरे पड़ सकते हैं।
उन्होंने बताया, 'इसके अलावा, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर जैसी परिवेशीय स्थितियां भी उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं और ठंडे भूमिगत तापमान में लंबे समय तक रहने से संभवतः ‘हाइपोथर्मिया’ हो सकता है और वे बेहोश हो सकते हैं।' ‘हाइपोथर्मिया’ एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर बाहरी तापमान की प्रतिक्रिया में अपने तापमान को नियंत्रित करने में विफल रहता है और इस प्रकार, उत्पन्न होने वाली गर्मी की तुलना में तेजी से गर्मी खोना शुरू कर देता है और इसलिए शरीर का तापमान असामान्य स्तर तक गिर जाता है।
जिन श्रमिकों को मधुमेह या हृदय रोग जैसी पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उनके लिए स्थिति खराब हो सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि भोजन और पानी की नियमित आपूर्ति उन्हें शारीरिक रूप से ठीक बनाए रख सकती है और निर्जलीकरण को रोक सकती है। सुरंग से निकाले जाने पर, श्रमिकों की निर्जलीकरण या हाइपोथर्मिया की जांच करने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए उन्हें उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इस घटना से उन्हें मानसिक आघात पहुंचने की अत्यधिक आशंका है, जिसके लिए श्रमिकों को शारीरिक फिटनेस परीक्षण के साथ ही मनोवैज्ञानिक परीक्षण और परामर्श से गुजरना होगा।
किसी तरह इन मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर निकाल लिया जाए और वो उनके अपने अपनों के पास जा सकें। अपनों के सामने अपनी सिसकियां बयां कर सकें। इस वक्त इन 41 मजदूरों के दिल में क्या चल रहा होगा, इसके बारे में दुनिया सिर्फ अंदाजा लगा सकती है, मगर वो कहते हैं न जिस पर गुजरती है वही समझता है। असल दर्द का एहसास इन 41 मजदूरों के घरवालों को हो रहा होगा, जिनके अपने सुंरग में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें
14 दिसंबर को महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार, शिंदे के न गृह मिलेगा और ना ही राजस्व, अमित शाह के घर बैठक में हो गया तय!
Cash for Job Scam: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने AAP नेताओं पर किया पलटवार, दायर करेंगे मानहानि का मुकदमा
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच दरार पैदा कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री; राजभवन ने लगाया गंभीर आरोप
आज की ताजा खबर Live 12 दिसंबर-2024 हिंदी न्यूज़: उपासना स्थल अधिनियम 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई, जनवरी में इस्तीफा देंगे FBI निदेशक; पढ़ें हर छोटी-बड़ी खबरें
अतुल सुभाष का नाम ले-लेकर रोती रहीं उनकी मां, मीडिया के सामने मूर्छित हुईं, कहा-मेरे बेटे को प्रताड़ित किया गया, Video
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited