Uttarakhand Tunnel: उत्तराखंड के सुरंग में फंसे मजदूर अब जल्द आ जाएंगे बाहर, 12 मीटर तक हुई ड्रिलिंग

घटनास्थल पर बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे केंद्रीय नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवत्त) वीके सिंह ने मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान के पूरा होने के लिए अधिकतम समयसीमा 'दो या तीन दिन' बताई।

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उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने का काम हुआ और तेज

तस्वीर साभार : भाषा

भारी और अत्याधुनिक ऑगर मशीन ने बृहस्पतिवार को सिलक्यारा सुरंग में मलबे को 12 मीटर तक भेद दिया जिससे पिछले चार दिनों से अधिक समय से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों के जल्द बाहर आने की उम्मीदें बढ़ गयीं। अधिकारियों ने शाम को कहा कि मलबे में ड्रिलिंग करने से बने रास्ते में छह मीटर का एक स्टील पाइप डाल दिया गया है जबकि दूसरा पाइप लगाया जा रहा है।

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कैसे निकाले जाएंगे मजदूर

उन्होंने बताया कि योजना यह है कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के बड़े पाइपों को एक के बाद एक ऐसे डाला जाएगा जिससे मलबे के दूसरी ओर एक 'एस्केप टनल' बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं ।

कितना लगेगा समय

नई शक्तिशाली ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने से पहले बचाव अभियान की सफलता के लिए सिलक्यारा सुरंग के बाहर पूजा भी संपन्न की गयी । घटनास्थल पर बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे केंद्रीय नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवत्त) वीके सिंह ने मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान के पूरा होने के लिए अधिकतम समयसीमा 'दो या तीन दिन' बताई।

सुरंगों की होगी समीक्षा

हालांकि राज्य भर में बन रही सभी सुरंगों की समीक्षा का निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बचाव अभियान के पूरा होने के समय को लेकर अधिक आशान्वित दिखे । दिन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, 'मुझे बताया गया है कि नई ड्रिलिंग मशीन मलबे को पांच-सात मीटर तक भेद चुकी है । हमें उम्मीद है कि प्रति घंटे पांच से सात मीटर तक भेदन क्षमता वाली यह मशीन जल्दी ही फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंच जाएगी ।'

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