Uttarkashi Avalanche में 19 मौतें: DGP बोले- दरारों से मिलीं लाशें; सेकेंड में सब बर्फ की चादर से ढक गया था
कुमार ने आगे कहा, "अलग-अलग टीमों के 30 लोग को तैनात किया गया है। दरअसल, पर्वतारोही चढ़ाई के बाद लौटते समय 17 हजार फुट की ऊंचाई पर द्रौपदी का डांडा-द्वितीय चोटी पर मंगलवार (चार अक्टूबर, 2022) को हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। हिमस्खलन वाले दिन सिर्फ चार लाशें बरामद हो सकी थीं।
Uttarkashi Avalanche:डीजीपी के मुताबिक, 30 रेस्क्यू टीम राहत-बचाव में लगाई गईं।
उत्तरकाशी में हुए हिमस्खलन में शुक्रवार (सात अक्टूबर, 2022) की सुबह तक 19 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक, दरारों से अब तक 19 लाशें बरामद की गई हैं। आज इन शवों को एडवांस लाइव हेलीकॉप्टर्स के जरिए मात्ली हेलीपैड लाने के प्रयास किए जाएंगे, जबकि 30 रेसक्यू टीमें तैनात की गई हैं।
कुमार ने आगे कहा, "अलग-अलग टीमों के 30 लोग को तैनात किया गया है। इनमें आईटीबीपी (ITBP), नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (Nehru Institute of Mountaineering), एयरफोर्स (Air Force) औ आर्मी (Army), एसडीआरएफ (SDRF) आदि के जाबांज हैं।
दरअसल, पर्वतारोही चढ़ाई के बाद लौटते समय 17 हजार फुट की ऊंचाई पर द्रौपदी का डांडा-द्वितीय चोटी पर मंगलवार (चार अक्टूबर, 2022) को हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। हिमस्खलन वाले दिन सिर्फ चार लाशें बरामद हो सकी थीं।
'चंद सेकेंड में सब कुछ बर्फ की मोटी चादर से ढक गया'
हिमस्खलन में बचे एनआईएम के प्रशिक्षक अनिल कुमार की आंखें उस दिन के मंजर को याद कर नम हो गईं। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘चंद सेकेंड में सब कुछ बर्फ की मोटी चादर से ढक गया था।’’
कुमार उन 14 घायल पर्वतारोहियों में हैं, जिन्हें बचाव दल ने सही-सलामत निकाल लिया था और घायलों को बुधवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कुमार के मुताबिक, ‘‘ दल में 34 प्रशिक्षुओं सहित 42 पर्वतारोही थे। मैं उनका नेतृत्व कर रहा था। प्रशिक्षक सविता कंसवाल और नौमी रावत मेरे पीछे थे जबकि बाकी उनके पीछे चल रहे थे। तभी हिमस्खलन हुआ और कुछ ही सेकेंड में सब कुछ बर्फ की मोटी चादर के नीचे दब गया।’’
उन्होंने कहा कि हिमस्खलन के दौरान 33 पर्वतारोही हिमखंड के बीच बनी दरार में छिप गए। कुमार ने कहा, ‘‘जैसा कि मैं बाकी से आगे था, मैं दरार के बाईं ओर फंसा हुआ था। जब बर्फ बैठने लगी, तो मैंने रस्सियों को खोल दिया और अपने साथियों को निकालना शुरू किया। अन्य प्रशिक्षक भी इस काम में लग गए।’’
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Abhishek Gupta author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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