उत्तरकाशी में बादल फटने से आई बाढ़, 105 लोगों को किया गया रेस्क्यू, संपत्तियों को भारी नुकसान

Cloudburst in Uttarkashi: उत्तराखंड में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई और यमुना नदी का जलस्तर भी बढ़ गया। जिसके कारण फंसे हुए 105 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया। बादल फटने से भूस्खलन भी हुआ है। जिस कारण मध्यमहेश्वर मार्ग भी बंद हो गया। इस दौरान संपत्तियों को भी भारी नुकसान हुआ है।

उत्तरकाशी

Uttarkashi Flood: उत्तरकाशी में गुरुवार रात को बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। जिससे यमुना का जलस्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया। पानी की तेज धाराओं ने जानकीचट्टी और यमुनोत्री के बीच छह किलोमीटर के दायरे में अपना कहर बरपाया। जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। बादल फटने से भूस्खलन के कारण मध्यमहेश्वर मार्ग भी बंद हो गया। जिससे 105 तीर्थयात्री और पर्यटक फंस गए हैं। जिन्हें हवाई मार्ग से सुरक्षित बाहर निकाला गया। जानकारी के अनुसार अचानक आई बाढ़ के कारण जानकीचट्टी में तीन टट्टू और एक मोटरसाइकिल बह गए। अचानक आई तेज बारिश ने क्षेत्र में संपत्तियों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है।

फंसे लोगों को किया गया एयरलिफ्ट

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह राजवार ने बताया कि पांच घंटे तक चले बचाव अभियान में मध्यमहेश्वर मार्ग पर फंसे सभी 105 तीर्थयात्रियों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया है। यह अभियान जिला प्रशासन की देखरेख में ट्रांस इंडिया और हिमालयन हेली सर्विसेज के नेतृत्व में चला। हेलीकॉप्टर के जरिए रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंची। जिसके बाद मध्यमहेश्वर से पांच किलोमीटर नीचे एक स्थान पर ट्रेकर्स तक पहुंची और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। वहीं एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि गोंदर के पास फंसे लोगों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। इन लोगों को इंस्पेक्टर अनिरुद्ध भंडारी की अगुआई में एक स्पेशल टीम ने रेस्क्यू किया। यहां बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए एक अस्थायी हेलीपैड भी बनाया गया था।

यमुनोत्री धाम में मंदिर परिसर को काफी नुकसान

यमुना नदी के उद्गम स्थल पर गुरुवार रात को भारी बारिश हुई। जिसके कारण यमुनोत्री धाम में मंदिर परिसर को काफी नुकसान पहुंचा है। तेज बारिश ने समिति का कार्यालय, रसोई और अन्य चीजों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। हालांकि इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ है। इसकी पुष्टि पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने की है। उन्होंने मंदिर परिसर में हुई क्षति के लिए यमुना नदी के मुहाने पर मौजूद मलबा, बोल्डर और पत्थरों के जमा होने को जिम्मेदार बताया है।
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