सिल्क्यारा सुरंग हादसा: रैट माइनिंग पर क्यों लगाया गया था बैन? आज यही बनी मजदूरों के लिए वरदान
Rat Mining Technique: रैट-होल माइनिंग एक ऐसी पद्धति है, जिसके जरिए खनिक कोयला निकालने का काम करते हैं, वे मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए संकरे बिलों में उतरते हैं और खोदाई करते जाते हैं। हालांकि, मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर बैन लगा दिया गया था।
सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन
Rat Mining Technique: उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए आज बड़ा दिन है। रेस्क्यू टीम उनके बेहद करीब पहुंच गई है और खबर है कि सुरंग में फंसे मजदूर कभी भी बाहर आ सकते हैं। अभी तक सामने आई जानकारी के मुताबिक, बचाव कर्मियों ने मंगलवार को उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में मलबे के अंदर 60 मीटर तक ड्रिलिंग का काम पूरा कर लिया है। उत्तराखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। सुरंग का यह वही हिस्सा है, जहां पर मजदूर फंसे हुए हैं।
बता दें, इससे पहले अमेरिकी ऑगर मशीन ने सुरंग की खुदाई की थी, लेकिन 48 मीटर तक ड्रिलिंग के बाद ऑगर मशीन का हिस्सा सुरंग में टूटकर फंस गया, जिस कारण रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया था। इसके बाद रेट होल माइनिंग का सहारा लिया गया और रैट माइनर्स ने 48 मीटर के आगे मैनुअल ड्रिलिंग शुरू कर दी। हालांकि, एक समय इसी रैट माइनिंग तकनीकि पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन आज यही तकनीक मजदूरों के लिए वरदान बन गई है। आइए जानते हैं इस पर प्रतिबंध क्यों लगा था?
पहले घटना के बारे में जानिए
12 नवंबर, 2023 की सुबह 5:30 बजे सिल्क्यारा से बड़कोट के बीच बन रही सुरंग धंस गई थी। यह हादसा सुरंग में 60 मीटर की दूरी पर मलबा गिरने के कारण हुआ, जिस कारण सुंरग के अंदर काम कर रहे 41 मजदूर वहां फंस गए। घटना की सूचना मिलते ही राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियां सक्रिय हुई और बचाव अभियान शुरू किया गया। सबसे पहले पाइपों के जरिए मजदूरों तक ऑक्सीजन, पानी, भोजन पहुंचाना शुरू किया गया। उनके बचाव के लिए भी खुदाई शुरू की गई, लेकिन इन सब में 16 दिन बीत गए। यानी मजदूर 16 दिन से सुरंग में फंसे हुए हैं।
अब रैट होल माइनिंग के बारे में जानिए
रैट-होल माइनिंग एक ऐसी पद्धति है, जिसके जरिए खनिक कोयला निकालने का काम करते हैं, वे मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए संकरे बिलों में उतरते हैं और खोदाई करते जाते हैं। सिल्क्यारा सुरंग में रैट माइनिंग के लिए विशेष कौशल रखने वाले रैट माइनर्स को चुना गया है। इस पद्धति में एक मजदूर मैनुअल ड्रिलिंग करता है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है और तीसरा मलबे को बाहर निकालने का काम करता है।
रैट माइनिंग पर क्यों लगा था प्रतिबंध
2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन (NGT) ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल, मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपाय के गड्ढे में उतर आते थे और कई बार ऊपर से धंसाव होने के कारण वे उसी में फंस जाते और हादसे का शिकार हो जाते थे। कई ऐसे भी मामले दर्ज किए गए, जिसमें रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिससे मजदूरों की जाम जली गई।
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