सिलक्यारा सुरंग हादसाः मुश्किल डगर, कब आएगी अच्छी खबर? पहुंचा प्लाज्मा कटर, मैनुअल ड्रिलिंग अंतिम विकल्प

Uttarkashi Tunnel Collapse: दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था, जिसके बाद 12 नवंबर से वहां अंदर 41 मजदूर फंसे हुए हैं। ये श्रमिक देश के अलग-अलग सूबों से नाता रखते हैं और फिलहाल इनके परिजन इनकी सलामती को लेकर बेहद परेशान हैं।

सिलक्यारा सुरंग हादसाः मुश्किल डगर, कब आएगी अच्छी खबर? पहुंचा प्लाज्मा कटर, मैनुअल ड्रिलिंग अंतिम विकल्प

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने से जुड़े रेस्क्यू ऑपरेशन का रविवार (26 नवंबर, 2023) को 15वां दिन रहा। अभियान में इस्तेमाल हुई ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग के जरिए एक प्लाज्मा मशीन मंगाई गई। रेस्क्यू से जुड़े काम को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना जरूरी है, जबकि मजदूरों को बाहर निकलाने के लिए रास्ता बनाने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे।

इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नल्ड डिक्स ने रविवार सुबह बताया- ऑगर मशीन फेल हो गयई। हमें पाइप से उसे निकालने के लिए काफी तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। चूंकि, सुबह प्लाज्मा कटर आ गए थे। ऐसे में रेस्क्यू टीम के जो बहादुर लोग अंदर जा रहे हैं, वे पाइप में प्लाज्मा कटर्स साथ ले जा रहे हैं और वे एक-एक पीस कर के काट रहे हैं। फिलहाल यही काम चल रहा है। सुबह यह प्रक्रिया तेजी से चल रही थी। हम एक बार ऑगर मशीन को बाहर निकाल लें तब हम अंदर जा सकते हैं और समझ सकते हैं कि अंदर की क्या स्थिति और फिर आगे तय कर सकते हैं कि क्या करना है।

वैसे, इससे पहले टनल के भीतर काम करने वाली रेस्क्यू टीम के लिए सुबह "प्रोटेक्शन अंब्रेला" बनाने से जुड़ी तैयारियां की गईं, ताकि उनके काम में कोई अड़चन आए। साथ ही भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की ओर से वहां लैंडलाइन फैसिलिटी की भी व्यवस्था की गई है, ताकि फंसे मजदूर इस संकट की घड़ी में अपने परिजन से बात कर सकें। अफसरों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि वर्टिकल ड्रिंलिंग काम रविवार को चालू होगा, मगर सभी मजदूरों को निकालने में थोड़ा और समय लग सकता है। वैसे, यह भी कहा गया है कि अगर बड़ी मशीनों से बात नहीं बन पाई तब मैनुअल ड्रिंलिंग (हाथ से) ही आखिरी विकल्प बचेगा।

दरअसल, 14वें दिन भी मजदूरों को निकालने में कोई सफलता नहीं मिली। अमेरिकी ऑगर मशीन एक पाइप में फंस गई, जिसके बाद से रेस्क्यू में दिक्कत आ गई। ऐसे में और विकल्पों पर विचार हुआ। इस बीच, सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को बताया था कि हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। पाइप में फंसी ऑगर मशीन को जल्द ही काट के निकाल लिया जाएगा।

सिलक्यारा के अस्थायी मीडिया सेंटर में प्रेस ब्रीफिंग में सीएम ने जानकारी दी कि कठिन परिस्थितियों में सरकार पूरी शिद्दत के साथ रेस्क्यू कार्य में जुटी है। उन्होंने स्वयं कम्युनिकेशन सिस्टम के जरिए अंदर फंसे लोगों से बात की है। अंदर फंसे सभी श्रमिक स्वस्थ हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से समन्वय बनाते हुए सभी संभव विकल्पों पर कार्य किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियां हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

धामी ने इसके अलावा बताया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिलक्यारा, उत्तरकाशी टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। प्रधानमंत्री प्रतिदिन श्रमिकों का कुशलक्षेम और सुरंग में जारी राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तृत जानकारी ले रहे हैं। केंद्रीय एजेंसियां, प्रदेश प्रशासन और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की टीमें सारे विकल्पों पर कार्य कर रही हैं। हम शीघ्र ही श्रमिक भाइयों को सकुशल बाहर निकालने में सफल होंगे।" दरअसल, चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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