Uttarkashi Tunnel Collapse: तीन बार थम चुकी है ड्रिलिंग, शाम तक निकले सकते हैं मजदूर; समझें- रेस्क्यू में क्यों हो रही देरी
Uttarkashi Tunnel Collapse Latest Update: दरअसल, उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिसके बाद 41 श्रमिक उसके अंदर फंस गए थे। उन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया गया।
Uttarkashi Tunnel Collapse Latest Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग से 41 मजदूरों को बचाने से जुड़े रेस्क्यू ऑपरेशन का शुक्रवार (24 नवंबर, 2023) को 13वां दिन रहा। पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे की ओर से बताया गया कि जो कंपनी की स्टडी हुई है, उसके हिसाब से अगले पांच मीटर तक कोई बाधा नहीं है। उम्मीद काफी अच्छी बंधी है। आज शाम तक मजदूरों के बाहर आने की आस है। इस बीच, बताया गया कि पाइप का आगे का हिस्सा (जो मुड़ गया है) काटा जाएगा। फिर नॉर्मल ड्रिलिंग होगी। ड्रिलिंग फिर शुरू होगी। अनुमान के अनुसार, 14 मीटर और आगे जाना है। हालांकि, उम्मीद है उससे पहले ही सफलता मिल सकती है। मशीन ठीक है। उसका जो प्लेटफॉर्म था, वह खराब हो गया था पर उसे रात में दुरुस्त कर लिया गया।
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PMO के पूर्व सलाहकार ने दिया ताजा अपडेटः
सभी श्रमिक टनल के भीतर फंसे हैं और उनके परिजन इस दौरान बाहर निकाले जाने की आस लगाए हैं। एक ओर विज्ञान और इंसान मिलकर उन्हें बचाने में जुटे हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग धर्म के रास्ते मजदूरों को बचाने के लिए दुआएं कर रहे हैं। गुरुवार को कुछ लोग निर्माणाधीन सुरंग के पास बने मंदिर के पास पालकी लेकर पहुंचे और वे वहां नारे और जयकारे लगाने लगे। हालांकि, जिंदगी की तलाश में यह ऑपरेशन बड़े स्तर पर चलाया जा रहा है, मगर इसमें बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। आइए, जानते हैं कि मजदूरों की निकासी में देरी क्यों हो रही है:
दरअसल, ऑपरेशन में अभी तक (खबर लिखे जाने तक) कई बार अड़चनें आई हैं। बृहस्पतिवार को फिर से अवरोध पैदा हुआ, क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी थी, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग को रोकना पड़ा। वैसे, इससे पहले बुधवार देर रात ऑगर मशीन के रास्ते में लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में ऑपरेशन फिर से शुरू होने के कुछ घंटे बाद रुक गया था। उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में बनने वाली सुरंग का हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को विभिन्न एजेंसियों की ओर से बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरा मौका है, जब ड्रिलिंग से जुड़े काम को रोकना पड़ा।
ऑपरेशन अंतिम चरण में बताया जा रहा है, मगर मजदूर कब बाहर आएंगे...इस बारे में कोई सटीक समय नहीं बता पाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि तेज ड्रिलिंग के दौरान पूर्व में क्रैक (दरकने) की तेज आवाजें आ चुकी हैं, जबकि कंपन भी महसूस की जा चुकी है। यही वजह है कि एक्सपर्ट्स ऐहतियाती तौर पर सावधानी बरत रहे हैं। सुरंग में फिर से हिस्सा ढहने या धंसने के साथ कंपन का खतरा हो सकता है। ऑपरेशन के बीच लोहे की रॉड भी आ गई थी। ऑगर मशीन में भी खराबी देखने को मिली थी।
चूंकि, जिस तरह ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है, उस लिहाज से टीम के सामने ऑक्सीजन भी बड़ी चुनौती है। रेस्क्यू टीम के लोगों को राहत और बचाव कार्य के दौरान सांस लेने में भी तकलीफ होती है। मौजूदा स्थिति के हिसाब से टीम को पनडुब्बी से भी कम स्पेस मिल रहा है। पाइप के जरिए लोगों को निकालने की प्रक्रिया के तहत टीम के लोग एक बार ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर जाते हैं, जबकि खत्म होने पर फिर से उनकी जरूरत पड़ती है। वैसे, आखिरी पाइप पहुंचना बाकी है, जिसके पहुंचते ही टीम के लोग मजदूरों तक पहुंच जाएंगे।
अधिकारियों के अनुसार, एक बार पाइप मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो एनडीआरएफ के जवान उसमें जाकर श्रमिकों को एक-एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए पूर्वाभ्यास कर लिया गया है। श्रमिकों को पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर पर लिटाकर रस्सियों की सहायता से बाहर लाया जाएगा। मजदूरों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी, दवाइयां और अन्य सामान सोमवार को डाली गयी पाइपलाइन के जरिए लगातार भेजा जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल बचाव प्रयास की समीक्षा के लिए बृहस्पतिवार को सिलक्यारा में थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिलक्यारा पहुंचे। (पीटीआई, भाषा-एएनआई इनपुट्स के साथ)
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