Uttarkashi Tunnel Rescue: सुरंग से श्रमिकों को निकालने के लिए एक्शन में प्लान B, वर्टिकल ड्रिलिंग से 20 मीटर हुई खुदाई
Uttarkashi Tunnel Rescue: राहत एवं बचाव के इस कार्य में सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है। लिफ्ट लगाकर सुरंग का मलबा निकाला जाएगा। दिल्ली से भी विशेषज्ञ आए हैं जो ड्रिलिंग में मदद करेंगे। वर्टिकल ड्रिलिंग से सुरंग के ऊपर से एक मीटर से 1.2 मीटर व्यास यानी गोलाई का छेद किया जा रहा है।
Uttarkashi Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग का काम जारी है। अभी तक 20 मीटर तक की खुदाई हो चुकी है। अभी 66 मीटर वर्टिकल खुदाई होनी बाकी है। अमेरिकी ऑगर मशीन के खराब हो जाने के बाद प्लान बी तैयार है। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए छह योजनाएं तैयार की गई हैं जिनमें से अभी दूसरे प्लान के तहत काम किया जा रहा है। खुदाई करने वाले ड्रीलर्स की लंबाई 170 फीट है।
दो दिन में ड्रिलिंग पूरी होने की उम्मीद
राहत एवं बचाव के इस कार्य में सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है। लिफ्ट लगाकर सुरंग का मलबा निकाला जाएगा। दिल्ली से भी विशेषज्ञ आए हैं जो ड्रिलिंग में मदद करेंगे। वर्टिकल ड्रिलिंग से सुरंग के ऊपर से एक मीटर से 1.2 मीटर व्यास यानी गोलाई का छेद किया जा रहा है। उम्मीद है कि वर्टिकल ड्रिलिंग अगले दो दिन में पूरी हो जाएगी।
लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गई
अधिकारियों ने यहां बताया कि क्षैतिज ड्रिलिंग कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के एक दिन बाद लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की गई है।उन्होंने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा। उनके अनुसार शाम तक 19.5 मीटर ड्रिलिंग कर ली गई थी।
जोर-शोर से चल रहा ड्रिलिंग का काम
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने सिलक्यारा में संवाददाताओं को बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा शुरू की गयी लंबवत ड्रिलिंग का कार्य काफी जोर-शोर से चल रहा है और अगर बिना किसी अड़चन के यह इसी तरह चलता रहा तो 'हम इसे चार दिन में बृहस्पतिवार तक खत्म करने की उम्मीद कर सकते हैं।' 'एस्केप पैसेज' बनाने के लिए ‘ड्रिलिंग’ करके 700 मिमी पाइप मलबे के अंदर डाले जा रहे हैं । इससे कुछ दूरी पर, इससे पतले 200 मिमी व्यास के पाइप अंदर डाले जा रहे हैं जो 70 मीटर तक पहुंच चुके हैं।
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