टूट गई ऑगर मशीन, क्रिसमस तक सुरंग से बाहर निकल पाएंगे 41 श्रमिक, विदेशी एक्सपर्ट का बड़ा बयान

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बाधा आ गई है। एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि हम कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 41 लोग क्रिसमस तक अपने घर पहुंच जाएंगे।

Uttarkashi Tunnel Rescue Update

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: मुश्किल में बचाव ऑपरेशन

Uttarkashi Tunnel Rescue Update: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 13 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का प्रयास लगातार जारी है लेकिन इसमें बाधाएं भी उतनी ही तेजी से आ रही हैं। इसी बीच विदेश सुरंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि ड्रिलिंग, ऑगरिंग बंद हो गई है। यह ऑगर मशीन के लिए बहुत ज्यादा है। यह और कुछ नहीं करने वाला है। हम कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं लेकिन प्रत्येक विकल्प के साथ हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि हम यह कैसे सुनिश्चित करें कि 41 आदमी घर सुरक्षित पहुंचें। हम किसी को चोट नहीं पहुंचाते हैं। पहाड़ ने फिर से ऑगर को रोक दिया, इसलिए हम अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि 41 लोग क्रिसमस तक अपने घर पहुंच जाएंगे। इससे पहले उन्होंने कहा कि किसी को चोट नहीं आई है, सभी लोग ठीक हैं। फिलहाल सब कुछ ठीक है। अब आप ऑगर को नहीं देखेंगे, ऑगर मशीन खत्म हो गई है, टूट गई है। यह मरम्मत लायक नहीं बची है। ऑगर से अब कोई काम नहीं होगा। डिक्स ने कुछ दिन पहले कहा था कि लंबवत ड्रिलिंग अधिक समय लेने वाला और जटिल विकल्प है, जिसके लिए सुरंग के ऊपरी हिस्से पर अपेक्षाकृत संकीर्ण जगह के कारण अधिक सटीकता और सावधानी बरतने की आवश्कयता होती है। सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजन मशीन से ड्रिलिंग में बार-बार बाधा आने और वांछित प्रगति नहीं मिल पाने के कारण धीरे-धीरे धैर्य खो रहे हैं।

गौर हो कि ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान बार-बार आ रही बाधाओं के चलते बचावकर्ता शेष हिस्से की हाथ से ड्रिलिंग या लंबवत बचाव मार्ग तैयार करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ढहे हिस्से में की जा रही ड्रिलिंग शुक्रवार रात को रोकनी पड़ी थी जो बचाव प्रयासों के लिए एक और झटका है। शुक्रवार को ड्रिलिंग बहाल होने के कुछ देर बाद ऑगर मशीन स्पष्ट रूप से किसी धातु की वस्तु के कारण बाधित हो गई। इससे एक दिन पहले अधिकारियों को ऑगर मशीन में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण बचाव कार्य को रोकना पड़ा था।

शुक्रवार को कुछ देर की ड्रिलिंग से पहले 800 मिलीमीटर चौड़े इस्पात के पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा ड्रिल किए गए मार्ग में धकेल दिया गया था। सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। श्रमिकों तक भोजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 6 इंच चौड़े ट्यूब को 57 मीटर तक पहुंचा दिया गया है। लगातार आ रही बाधाओं के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग और मलबे के बीच इस्पात का पाइप डालने का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। श्रमिकों को इस पाइप से बाहर निकालने की योजना है। अधिकारी ने बताया कि ऐसे में 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से की हाथ से ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसमें समय अधिक लगता है। अधिकारियों ने बताया कि एक लंबवत बचाव मार्ग बनाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। शनिवार की सुबह एक बड़ी ड्रिलिंग मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी की ओर ले जाया गया। जहां लंबवत ड्रिलिंग के लिए विशेषज्ञों ने सबसे कम ऊंचाई वाले दो स्थानों की पहचान की है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सुरंग के ऊपर तक 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क पहले ही बना दी है क्योंकि लंबवत ड्रिलिंग पर कुछ समय पहले से ही विचार किया जा रहा है।

बिहार के बांका निवासी देवेंद्र किस्कू का भाई वीरेंद्र किस्कू सुरंग में फंसे श्रमिकों में शामिल है। देवेंद्र ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारी पिछले दो दिन से हमें भरोसा दिला रहे हैं कि उन्हें (फंसे हुए श्रमिकों को) जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे प्रक्रिया में देर हो जाती है। चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं।

श्रमिकों को 6 इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं। पाइप का उपयोग करके एक संचार प्रणाली स्थापित की गई है और श्रमिकों के रिश्तेदारों ने उनसे बात की है। इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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