Kargil Vijay Diwas: वीरता, शौर्य, पराक्रम-दिलेरी की मिसाल भारतीय फौज, कारगिल की चोटियों पर बिखरी है जवानों की विजयगाथा

Kargil Vija y Diwas : कैप्टन विक्रम बत्रा भारतीय सेना की 13वीं बटालियन, जम्मू और कश्मीर राइफल्स के ऑफिसर थे। कारगिल युद्ध की जीत में विक्रम बत्रा ने अहम भूमिका निभाई। एक चोटी पर जीत के बाद इन्होंने कहा था 'ये दिल मांगे मोर'। जीत की ऐसी भू्ख लिए कैप्टन बत्रा दुश्मनों के लिए काल बन गए थे।

कारगिल विजय दिवस।

मुख्य बातें
  • पाकिस्तानी फौज की मदद से कारगिल की चोटियों पर काबिज हो गए थे घुसपैठिए
  • इस घुसपैठ की साजिश पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने रची थी
  • करीब ढाई महीने तक चले इस युद्ध में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक मारे गए

Kargil Vijay Diwas : आज से 25 साल पहले कारगिल की चोटियों पर भारतीय जवानों ने अपनी वीरता, शौर्य, पराक्रम और दिलेरी की जो इबारत लिखी वह आज भी हर एक भारतवासी के दिलों मे जिंदा अहसास के रूप में कायम है। भारतीय सैनिकों ने अपने जज्बे, हौसलों और पराक्रम से असंभव को संभव कर दिया। भारतीय फौज के इस अदम्य साहस और वीरता का लोहा दुनिया मान गई। देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देने वाले मां भारती के इन रणबांकुरों को आज पूरा देश भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है। हर भारतवासी को अपने इन वीर सपूतों पर गर्व और नाज है।

घुसपैठियों पर कहर बनकर टूटी भारतीय फौज

करीब दो महीने तीन सप्‍ताह तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे आतंकियों, घुसपैठियों और पाकिस्तानी सेना के मंसूबों को ध्वस्त कर दिया। भारतीय फौज उन पर कहर बनकर टूट पड़ेगी यह शायद उन्होंने अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा। उन्हें ऐसी मार पड़ी की उन्हें वापस भागने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। भारतीय सेना एक-एक कर कब्जाए गए कारगिल की चोटियों पर तिरंगा लहराती गई। कहने का मतलब यह है कि कारगिल विजय दिवस भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और दृढ़ संकल्प का जीता जागता प्रमाण है।

अगगिनत हैं शौर्य की कहानियां

कारगिल युद्ध में भारतीय फौज की दिलेरी और शौर्य के अनगिनत किस्से और कहानियां हैं लेकिन हम यहां वीरता का सबसे बड़ा पदक परमवीर चक्र अपने नाम करने वाले जवानों की वीरगाथा बताएंगे जिन्होंने अपने साहस से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए...ऐसा पराक्रम दिखाया कि उनकी रूह कांप गई। इसमें सबसे पहला नाम कैप्टन विक्रम बत्रा का है।

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