Dev Deepawali 2022 : वाराणसी में बेहद भव्य होगी 'देव दीपावली', 10 लाख दीयों से चमकेंगे 'काशी के घाट'-Video
Kashi Ghats Will shine with 10 lakh Diyas on Dev Deepawali 2022: वाराणसी की दिव्य-भव्य देव दीपावली सोमवार शाम को मनाई जाएगी, योगी सरकार देव दीपावली पर काशी के घाटों पर जलाएगी 10 लाख दीप वहीं पूरे बनारस में जन सहभागिता से जलाए जाएंगे तकरीबन 21 लाख दीये।
शाम 5 बजकर 15 मिनट से सभी घाटों पर शुरू होगा दीप प्रज्ज्वलन
- देव दीपावली पर वाराणसी के होटल, गेस्ट हाउस, बजरा, बोट व क्रूज़ हुए फुल
- जल, थल और नभ से अभेद घेरे में होगी शिव की नगरी काशी
- शाम 5 बजकर 15 मिनट से सभी घाटों पर शुरू होगा दीप प्रज्ज्वलन
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सोमवार को देव दीपावली का पर्व पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा। मां जाह्नवी के अर्धचन्द्राकार घाटों पर शाम पांच बजकर 15 मिनट के बाद 10 लाख दीप जलाकर योगी सरकार दिव्य और भव्य देव दीपावली महोत्सव का शुभारंभ करेगी। इसके साथ ही पूरे बनारस में जनसहभागिता से तकरीबन 21 लाख दीये जलाये जाने की संभावना है। देव दीपावली महोत्सव को देखते हुए वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
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श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद ये पहली देव दीपावली है। देव दीपावली के अवसर पर जल, थल और नभ से काशी नगरी की सुरक्षा के इंतजाम किये गये हैं। ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से रूट डायवर्जन भी लागू किया गया है।
साल दर साल भव्य से भव्यतम रूप प्रदान कर रही योगी सरकार
देव दीपावली पर जब लाखों दीपों की माला पहने हुए माँ गंगा का शृंगार होता है तो ऐसा लगता है मानो आसमान के सितारे जमीन पर उतर आए हैं। ये नजारा सोमवार को काशी में देखने को मिलेगा, जब देवाधिदेव महादेव की नगरी में आकाश के देवता अपनी दीपावली मनाने आएंगे। इस अलौकिक देव दीपावली को साल दर साल भव्य से भव्यतम रूप प्रदान कर रही योगी सरकार इस बार वाराणसी में गंगा के दोनों तटों को कुल 10 लाख दीयों की रोशनी से जगमग करेगी। इसके अलावा काशी के घाटों पर सोमवार को अमृत महोत्सव की झलक भी देखने को मिलगी।
होटल से लेकर क्रूज तक सब हाउसफुल
सोमवार शाम 8 लाख दीये वाराणसी में गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित तकरीबन 84 घाटों पर जलाये जाएंगे, जबकि पूर्वी तट पर रेत पर भी 2 लाख दीप रौशन होंगे। इसके अलावा पूरे शहर में तकरीबन 11 लाख दीप काशीवासी जलाएंगे। काशी के घाटों की इस नयनाभिराम छटा को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक खींचे चले आते है। कुंड, तालाब व जलाशयों पर भी आज शाम दीप जलाए जाते हैं। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशी में पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद हुई है। देव दीपावली पर होटल, गेस्ट हाउस, नाव, बजरा, बोट व क्रूज़ की पहले से ही प्री बुकिंग हो चुकी है। योगी सरकार चेत सिंह घाट पर पहली बार 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग लेजर शो आयोजित करा रही है। काशी के घाटों के किनारे सदियों से खड़ी ऐतिहासिक इमारतों पर धर्म की कहानी जीवंत होती दिखेगी। वही गंगा की गोद में शिव भजनों का लेजर और लाइट मल्टीमीडिया शो होगा। पर्यटक ग्रीन पटाखों का भी आनंद ले सकेंगे।
प्रशासन ने की है पुख्ता व्यवस्था
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) देशों से रूस के एक व किर्किस्तान के दो सदस्य इस बार देव दीपावली में मेहमान होंगे। उन्होंने बताया कि देव दीपावली विश्व विख्यात हो चुकी है और इसको देखने के लिए विश्वभर से पर्यटक आते हैं। खास देव दीपावली के लिए शहर में स्वच्छता अभियान चला है। वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया कि सरकारी इमारतों, सभी चौराहों और पोलों पर स्पायरल तिरंगा एलईडी लाइटिंग लगायी गयी है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों का स्वागत किया जाएगा। रंगोली, फसाड लाइट व बिजली की लड़ियों से सजावट किया गया है। काशी की सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दिया गया है।
शहर में छह जगह से होगा लाइव प्रसारण
देव दीपावली पर विश्व प्रसिद्ध काशी के घाट की आरती और सजावट शहर के कई स्थानों से सजीव देखा जा सकेगा। योगी सरकार ने इसके लिए छह प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं के लिए रियल टाइम आरती देखने के लिए हाई रिजुलेशन कैमरे लगाये गये हैं। एलईडी स्क्रीन लगाने के लिए छह जगहों का चयन भी भक्तों की अधिकता व आवागमन की दृष्टि से किया गया है। ये स्थान अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, राजघाट, गोदौलिया मल्टी लेवल पार्किंग व वाराणसी कैंट स्टेशन हैं। सजीव तस्वीरों के साथ जनता महाआरती के वक़्त भजन, घंटा घड़ियालों की आवाज़ के साथ आरती की ध्वनि भी सुन सकेगी।
जल, थल और नभ से होगी निगरानी
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश के अनुसार पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतज़ाम रहेगा। किसी भी तरह के प्राइवेट ड्रोन को उड़ाने पर पूरी तरह ऱोक लगा दी गई है और जिले की सीमा पर भी चौकसी बरती जाएगी। इसके अलावा पर्याप्त संख्या में पुलिस और पीएएसी की तैनाती की गयी है। गंगा नदी में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मुस्तैद किया गया है। पर्यटकों की बड़ी संख्या देखते हुए अस्पतालों में बेड रिज़र्व करके चिकित्सकों की टीम को अलर्ट रखा गया है। गंगा में फ्लोटिंग डिवाइडर बनाए जा रहे हैं। नाविकों को निर्धारित पर्यटकों को बैठाने व लाइफ जैकेट पहनने की हिदायत दी गई है। श्रद्धालुओं व पर्यटकों की भारी भीड़ के अनुमान से ट्रैफिक डाइवर्जन व पार्किंग सुनिश्चित कर दिया गया है। पुलिस प्रशासन ड्रोन कैमरे के जरिए निगरानी करेगी। कह सकते हैं कि आकाश, जमीन और पानी हर जगह से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किये गये हैं।
काशी की विभूतियों को किया जाएगा याद
देव दीपावली समितियों ने भी दीपावली की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। योगी सरकार इनकी पूरी मदद कर रही है। समितियों ने निर्णय लिया है कि काशी से जुड़े महान सपूतों को पहला दीप अर्पित करेंगे। अस्सी घाट पर महामना मदन मोहन मालवीय, तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास, हरिश्चंद्र घाट पर डोम राजा, सिंधिया घाट पर तैलंग स्वामी और स्वामी विवेकानंद जैसी विभूतियों के चित्र लगाए जाएंगे। इसके अलावा संगीतकार भारत रत्न पं रविशंकर, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पद्मविभूषण पं किशन महाराज, पद्मविभूषण गिरिजा देवी, पद्मभूषण पं राजन मिश्रा, साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद के भी चित्र लगेंगे।
अमर सपूतों को दी जाएगी श्रद्धांजलि
आध्यात्मिकता के साथ राष्ट्रवाद व सामाजिकता की भी झलक देव दीपावली में देखने को मिलती है। काशी नरेश ने देश के लिए वीरगति प्राप्त होने वाले सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी, जो आज भी जारी है। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाई गई है। हर साल यहां भारत के अमर वीर योद्धाओं को ‘‘भगीरथ शौर्य सम्मान‘‘ से सम्मानित भी किया जाता है। इसके साथ ही एक संकल्प गंगा किनारे’ के माध्यम से माँ गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने, पर्यावरण व जल संरक्षण संकल्प दिलाया जाएगा। 51 कन्याओं द्वारा दशाश्वमेध घाट पर महाआरती होगी जो नारी शक्ति का भी संदेश देगी।
देव दीपावली का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व
मान्यता है की देवोत्थान एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु निद्रा से जागते हैं, इसके बाद महादेव की नगरी काशी में वे समस्त आकाशीय देवताओं के साथ दीपावली का पर्व मनाने आते हैं। इस पर्व को मनाने के लिए देवतागण काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है, जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध भगवान विष्णु ने इसी दिन किया था। इसके बाद देवताओं ने दीपावली मनाई थी। देव दीपावली के अवसर पर सुबह से ही काशी के घाटों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं। मान्यता ये भी है कि कार्तिक मास के इस दिन दीप दान करने से पूर्वजों को तो मुक्ति मिलती है और साथ में दीपदान करने वाले श्रद्धालु को भी मोक्ष का मार्ग मिलता है।
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