क्रांतिकारी सावरकर राहुल के निशाने पर, फिर भी उद्धव का साथ नहीं, जानें माजरा
Veer Savarkar And Rahul Gandhi: राहुल गांधी के बयान के बाद जिस तरह उद्दव ठाकरे ने उनके बयान से किनारा करते हुए कहा कि हम वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान का समर्थन नहीं करते हैं। उससे साफ है कि राहुल गांधी को सावरकर पर पूरे विपक्ष का साथ नहीं मिल रहा है।
मुख्य बातें
- भाजपा के लिए वीर सावरकर हमेशा से नायक रहे हैं।
- इंदिरा गांधी सावरकर की देश भक्ति की प्रशंसा की थी।
- उनके रहते सावरकर पर भारत सरकार डाक टिकट भी जारी कर चुकी है।
Veer Savarkar And Rahul Gandhi:कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के महाराष्ट्र में पहुंचने के बाद से राजनीतिक गरमा गई है। ताजा मामला, राहुल गांधी का वीर सावरकर पर दिया गया बयान है। राहुल गांधी ने वीर सावरकर के गृह राज्य में पहुंचकर उन पर एक बार फिर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ भगवान बिरसा मुंडा थे, जिन्होंने अंग्रेजों का डटकर सामना किया, दूसरी तरफ सावरकर ने अंग्रेजो के सामने घुटने टेक दिए। उनके इस बयान के आते ही भाजपा के नेताओं ने जहां राहुल गांधी को आंड़े हाथ लिया, वहीं उनके साथी उद्धव ठाकरे ने भी उनके बयान से किनारा कर लिया। यही नहीं वीर सावरकर के पोते ने मुंबई में राहुल गांधी के खिलाफ थाने में शिकायत भी दर्ज करा दी। ऐसे में दो सवाल साफ हैं कि जब राहुल की दादी इंदिरा गांधी वीर सावर कर की देशभक्ति की तारीफ कर चुकी हैं तो वह बार-बार सावरकर पर निशाना क्यों साधते हैं। दूसरे राहुल गांधी को विपक्ष दलों से भी साथ क्यों नहीं मिल रहा है। और शिव सेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने राहुल गांधी को नसीहत और चेतावनी देते हुए कहा है कि सावरकर पर इस तरह की बातें करने से, महाविकास अघाड़ी में दरार आ सकती है।
सावरकर हीरो और विलेन दोनों क्यों
राहुल गांधी के बयान के बाद जिस तरह उद्दव ठाकरे ने उनके बयान से किनारा करते हुए कहा कि हम वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान का समर्थन नहीं करते हैं। वीर सावरकर के लिए हमारे दिल में आदर और सम्मान है और उनके योगदान को कोई नहीं मिटा सकता है। जाहिर है कांग्रेस के साथ होने बाद भी उद्धव ने उनसे दूरी बनाकर साफ कर दिया है, कि वह वीर सावरकर पर राहुल गांधी के साथ खड़े नहीं हो सकते हैं।
वैसे तो वीर सावरकर कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हिस्सा नहीं रहे। लेकिन जिस तरह उन्हें भारत में हिंदू राष्ट्र की कल्पना की और 1857 के अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह को पहले स्वतंत्रता संग्राम के रूप में स्थापित किया। उससे वह हमेशा से आरएसएस और भाजपा के लिए वह हमेशा से नायक रहे हैं।
हालांकि एक हकीकत भी है कि आजादी के बाद उनके ऊपर महात्मा गांधी की हत्या का मुकदमा भी चला था। लेकिन वह उससे बरी हो गए थे। कांग्रेस इस आधार पर उन्हें निशाने पर लेते रही है। साथ ही जब सावरकर स्वतंत्रता आदोलन में सक्रिय थे, तो ब्रिटिश हुकूमत ने कालापानी की सजा देते हुए, उन्हें अंडमान की सेल्युलर जेल में बंद कर दिया था। कांग्रेस का आरोप है कि उन्होंने रिहाई के लिए अंग्रेजों को माफीनामा लिखा था। जिसे लेकर राहुल गांधी उन्हें निशाने पर लेते रहे हैं।
लेकिन एक हकीकत यह भी है कि राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने 1970 में वीर सावरकर के नाम से डाक टिकट भी जारी किया था। वहीं भाजपा यह भी दावा करती है कि इंदिरा गांधी ने अपने पर्सनल अकाउंट से वीर सावरकर ट्रस्ट को 11 हजार रुपये दान किए थे।
शरद पवार भी कर चुके हैं प्रशंसा
ऐसा नहीं है कि सावरकर का विपक्ष में केवल उद्धव ठाकरे ही समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस के एक और पुराने साथी एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी साल 2021 में वीर सावरकर के बारे में राहुल गांधी से अलग विचार रखते हैं। उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यही नहीं महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है। उस वक्त उन्होंने यह भी कहा था कि सावरकर दलितों के लिए मंदिर प्रवेश सुधारों को बढ़ावा देने वाले अग्रणी लोगों में से एक थे।
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