15 साल बाद आया पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में फैसला, सभी पांचों आरोपी दोषी करार

19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अगली सुनवाई के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले में फैसला आ गया।

Saumya murder

सौम्या मर्डर केस

Soumya Vishwanathan Murder Case: पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या मामले मे दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया है। इन्हें हत्या के मामले मे दोषी करार दिया गया है। अदालत का फैसला सौम्या की हत्या के 15 साल बाद आया है। साकेत कोर्ट ने बचाव व अभियोग पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद 13 अक्टूबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सौम्या की हत्या के मामले में पांच लोगों रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार किया गया था और ये आरोपी मार्च 2009 से न्यायिक हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस ने इन सभी आरोपियों पर मकोका लगाया था।

मार्च 2009 में आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मामले में सभी सबूत अदालत के सामने पेश करने में अभियोजन पक्ष को 13 साल से अधिक समय लग गया। फरवरी 2010 में शुरू हुआ मुकदमा आज समाप्त हो गया। फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला था कि सौम्या की मौत सिर में गोली लगने से हुई, जिसके बाद हत्या की जांच शुरू हो गई।

पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की मां माधवी विश्वनाथन ने बुधवार को उनकी बेटी की हत्या के जुर्म में दोषी ठहराए गए सभी चार लोगों के लिए आजीवन कारावास की मांग करते हुए कहा कि उन्हें वही भुगतना चाहिए जो उनके परिवार को सहना पड़ा। सौम्या विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 को गोली मारकर तब हत्या कर दी गई जब वह तड़के करीब 3:30 बजे अपने आफिस से काम के बाद कार से घर लौट रही थीं। पुलिस ने दावा किया था कि हत्या के पीछे का मकसद लूटपाट था।

अदालत ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत और अजय कुमार को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत भी दोषी ठहराया। पांचवें आरोपी अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और मकोका प्रावधानों के तहत संगठित अपराध को अंजाम देने, सहायता करने या जानबूझकर इसे बढ़ावा देने और संगठित अपराध की आय प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया।

सजा सुनाने के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को बिना किसी संदेह के साबित कर दिया है। अदालत ने सजा सुनाने के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की है। माधवी ने संवाददाताओं से कहा, हमने अपनी बेटी को खो दिया। हम दोषियों के लिए आजीवन कारावास की मांग करते हैं, उन्हें वही भुगतना चाहिए जो हमने सहा। विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) एच जी एस धालीवाल भी दिवंगत पत्रकार सौम्या के परिवार के सदस्यों के साथ अदालत में मौजूद थे।

धालीवाल पूर्व में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) दक्षिण के रूप में तैनात थे और उनकी टीम ने ही सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले का खुलासा किया था। धालीवाल ने कहा कि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण मामला था और इसे सुलझाने में छह महीने से अधिक का समय लगा। उन्होंने कहा, सौम्या विश्वनाथन के परिवार के सदस्यों ने दिल्ली पुलिस पर भरोसा रखा और नहीं चाहते थे कि मामला किसी केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित किया जाए। हालांकि, मामला चुनौतीपूर्ण था क्योंकि पीड़िता और आरोपी के बीच कोई संपर्क नहीं था। चलती गाड़ी से एक गोली चलाई गई जो सौम्या को लगी और उनकी मौत हो गई। धालीवाल ने कहा कि सौम्या के परिवार के सदस्य घटना वाले दिन से लेकर मामला सुलझने तक मामले की हर समीक्षा बैठक में शामिल हुए।

आरोपी की अंतरिम जमानत याचिका खारिज

इससे पहले इस मामले में आरोपी अमित शुक्ला की अंतरिम जमानत कोर्ट ने खरिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मामले में आज फैसला आना है ऐसे में अंतरिम जमानत अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। इसके बाद अमित शुक्ला के वकील ने अंतरिम जमानत अर्जी वापस ले ली। अमित शुक्ला ने स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत अर्जी दाखिल की थी।

सौम्या की देर रात कार में हत्या

पुलिस की जांच से पता चला कि सौम्या अपने ऑफिस से देर रात घर लौट रही थी। उसे शक था कि उसका पीछा किया जा रहा है। इसी दौरान एक गोली किसी अन्य चलती गाड़ी से चलाई गई थी। सीसीटीवी फुटेज से इलाके में सौम्या की गतिविधियों को देखा गया और पता चला कि एक मैरून रंग की कार उसका पीछा कर रही थी। इसके बाद मुंबई स्थित अपराध शाखा की टीमों को बुलाया गया और अधिक सबूत इकट्ठा करने के लिए इलाके में गहन तलाशी अभियान चलाया गया। मार्च 2009 में दिल्ली पुलिस ने दो संदिग्धों रवि कपूर और अमित शुक्ला को किसी अन्य मामले में गिरफ्तार किया था। ये मामला कॉल सेंटर कर्मचारी जिगिशा घोष की हत्या का था। इसी केस के सिलसिले में दोनों आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े।

नवंबर 2010 में शुरू हुई थी सुनवाई

पूछताछ रवि कपूर और अमित शुक्ला ने सौम्या की हत्या की बात भी कबूल करते हुए इसे रोमांचक गतिविधि का अंजाम बताया। जांच में यह भी पता चला कि सीसीटीवी फुटेज में दिखी कार का इस्तेमाल दोनों हत्याओं में किया गया था। जून 2010 में दिल्ली पुलिस ने हत्या में रवि कपूर, अमित शुक्ला और दो अन्य संदिग्धों, बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को शामिल करते हुए एक आरोप पत्र दायर किया। सौम्या मामले में मुकदमे की कार्यवाही 16 नवंबर 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई थी। लंबी सुनवाई के दौरान हत्यारों की बंदूक से गोलियों का मिलान, निगरानी फुटेज और आरोपी के कबूलनामे सहित प्रमुख फोरेंसिक साक्ष्य प्रस्तुत किए गए।

19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली थी और अगली सुनवाई के लिए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। तब से विभिन्न कानूनी जटिलताओं के कारण फैसले को कई बार टाला गया। लंबी कानूनी लड़ाई और तमाम परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की बारीकी से जांच के बाद 18 अक्टूबर 2023 को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया। (इनपुट- गौरव श्रीवास्त्व)

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अमित कुमार मंडल author

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