Vijay Diwas 2023: 16 दिसंबर की वह तारीख, जब कश्मीर का सपना देखने वाले पाकिस्तान का सिमट गया था भूगोल
16 दिसंबर 1971 की एक तारीख जिसे पाकिस्तान शायद ही याद रखना चाहेगा। यही वो दिन है जब कश्मीर का सपना देखने वाले पाकिस्तान का भूगोल सिमट गया और उसके दो टुकड़े हो गए। पाक सेना तब भारत के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गई थी।
सरेंडर दस्तवाजों पर हस्ताक्षर करते हुए तत्कालीन पाकिस्तानी फौज के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी।
मुख्य बातें
- आज ही के दिन भारत के आगे घुटने टेकने को मजबूर हुआ था पाकिस्तान
- 16 दिसंबर, 1971 को कश्मीर का सपना देखने वाले पड़ोसी मुल्क का बदल गया था भूगोल
- आज ही के दिन भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे, दुनिया के नक्शे पर हुआ था बांग्लादेश का उदय
New Delhi: कोलकाता (Kolkata) में इंडियन आर्मी (Indian Army) ने शौर्य और शक्ति का प्रदर्शन कर रही है और 1971 के भारत-पाकिस्तान (Pakistan) युद्ध में विजय की खुशी मना रही है। 51 साल पहले मिली जीत आज भी हिन्दुस्तानियों का सीना गर्व से चौड़ा कर देती है। भारतीय जवानों ने दिखाया कि कैसे तेजी से काम करते हुए दुश्मन को ढेर किया जाता है और दुश्मन के इलाके में घुसकर उसे छठी का दूध याद दिलाया जाता है। इस समारोह में बांग्लादेश (Bangladesh) का डेलिगेशन भी मौजूद रहा। होता भी क्यों नहीं आखिर आज ही के दिन तो भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराकर दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश को उकेरा था।
एक तस्वीर बयां करती हैं सारी कहानी
16 दिसंबर, 1971 में भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच युद्धविराम पर सहमति के बाद पाकिस्तान से पृथक होकर बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। पाकिस्तान को एक तस्वीर जो हमेशा चुभती रहेगी, वो है जब पाकिस्तानी सेना के पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (पूर्वी कमान) लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के बगल में बैठ हैं। इस दौरान नियाजी आत्मसमपर्ण के उस दस्तावेज पर कलम चला रहे हैं जो पाकिस्तान की हार का लिखित दस्तावेज बना।
93 हजार सैनिकों के साथ किया था सरेंडर
1971 में पाकिस्तान के साथ 13 तक युद्ध चला और अंत में हार मानते हुए पाकिस्तान ने भारत के सामने 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के नए देश का उदय हुआ। पाकिस्तान को मिली यह हार बेहद शर्मनाक थी। जब-जब यह जनरल अरोड़ा और जनरल नियाजी की एक तस्वीर सामने आती है तो तब-तब पाकिस्तान को मिर्च लगना स्वाभाविक है। 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान ने हार देखकर सरेंडर ना करने के लिए हरसभंव जतन किए, यहां तक कि अमेरिका की भी मदद ली लेकिन अंतत: सरेंडर करने को मजबूर हो गया। इस युद्ध में ना केवल सेना बल्कि वायुसेना ने भी ऐसा दम दिखाया जिसकी पाकिस्तान ने भी कल्पना नहीं की थी।
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किशोर जोशी author
राजनीति में विशेष दिलचस्पी रखने वाले किशोर जोशी को और खेल के साथ-साथ संगीत से भी विशेष लगाव है। यह ट...और देखें
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