शिव-पार्वती का प्रिय, मैरी कॉम-इरोम शर्मिला का गौरव, फिर क्यों सिसक रहा है मणिपुर

Violence In Manipur And History Of State:मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस हिंसा की शुरूआत मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाले जाने के बाद से शुरू हुई है।

मई से मणिपुर में हिंसा जारी

Violence In Manipur And History Of State:मणियों की धरती यानी मणिपुर पौराणिक काल से अपनी खूबसूरत पहाड़ियों और झीलों के लिए फेमस रहा है। आधुनिक दौर में सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला और ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम की पहचान भी इस खूबसूरत राज्य से जुड़ी हुई है। हजारों साल का इतिहास समेटे हुए मणिपुर लेकिन इस समय जल रहा है। डेढ़ महीने से ज्यादा समय से चल रही जातीय हिंसा ने राज्य के ताने-बाने को भी बिखेर दिया है। चिंता की बात यह है कि अभी भी हालात सुधर नहीं रहे हैं। हालात कितने चिंताजनक हैं कि इस संबंध में अमेरिका दौर से लौटते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह अमित शाह से आपात बैठक की हैं। लेकिन जलते सिसकते मणिपुर में कब शांति पहुंचेगी, इसकी फौरी उम्मीद फिलहाल नहीं दिख रही है।

जातीय हिंसा में 100 लोगों की मौत

मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस हिंसा की शुरूआत मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाले जाने के बाद से शुरू हुई है।पूर्वोत्तर के इस राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है, जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

असल में मणिपुर में मेइती समुदाय के लोगों का राज्य की सत्ता से लेकर सभी प्रमुख स्थानों पर प्रभाव है। इस वजह से नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय में रोष की भावना रहती है। इस बीच जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की बात सामने आई तो यह रोष हिंसा में तब्दील हो गया। और उसके बाद से जो चिंगारी बनकर आग फैली वह पूरे मणिपुर को जला रही है।

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