मौजूदा सांसदों के ट्रीटमेंट में वीआईपी व्यवस्था, हंगामे के बाद दिल्ली AIIMS ने आदेश लिया वापस

लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के संबंध में मेडिकल केयर के संबंध में जारी चिट्ठी को एम्स दिल्ली ने वापस ले लिया। बता दें कि ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के फेडरेशन ने आपत्ति जताई थी।

दिल्ली एम्स की तरफ से जारी हुई थी चिट्ठी

मौजूदा सरकार देश से वीआईपी कल्चर खत्म करने की वकालत करती है। यह बात अलग अलग है कि देश के अलग अलग हिस्सों में वीआईपी कल्चर देखने को मिल ही जाता है। यह संस्कृति किसी एक दल से नहीं जुड़ी है। आप को याद होगा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया सामान्य मरीज बनकर सफदरजंग अस्पताल पहुंचे और स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानने की कोशिश की। लेकिव हाल ही में एम्स दिल्ली के निदेशक की तरफ से लोकसभा सचिवालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी वाई एम कांडपाल को एक खत लिखा जिसमें जिक्र था लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा सांसदों को बेहतर मेडिकल केयर के लिए एक नोडल ऑफिसक की नियुक्ति हो जिस पर आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के फेडरेशन ने आपत्ति जताई और अब एम्स की तरफ से आदेश वापस लिया जा चुका है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर एम्स के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास द्वारा एम्स में मौजूदा सांसदों के लिए चिकित्सा देखभाल व्यवस्था के संबंध में लिखे गए पत्र को तत्काल रद्द करने की मांग की थी।हंगामे के मद्देनजर, एम्स, नई दिल्ली ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि उसके पास हमेशा "जीवन के सभी क्षेत्रों के रोगियों की चिकित्सा देखभाल के समन्वय के लिए 24×7 नियंत्रण कक्ष" है। इसने ट्वीट में कहा कि अस्पताल प्रशासन विभाग के निवासी और संकाय लॉजिस्टिक्स को आसान बनाने और गरीबों में से सबसे गरीब के इलाज में तेजी लाने के लिए यहां काम करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने कहा था कि हम हमेशा अस्पतालों में वीआईपी संस्कृति के खिलाफ रहे हैं, और हम इसके साथ खड़े हैं। यह निराशाजनक है कि एम्स जैसी संस्था देश के लिए इतनी खराब मिसाल कायम कर रही है। इस देश में हर मरीज अच्छे इलाज का हकदार है, जिसमें एक सांसद और एक बेघर व्यक्ति भी शामिल है।
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