UCC: समान नागरिक संहिता पर विश्व हिंदू परिषद भी हुई सक्रिय, सरकार को दिए ये सुझाव
मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद समान नागरिक संहिता पर राजनीतिक बहस फिर से शुरू हो गई है।
VHP Suggestions on UCC
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता को लेकर छिड़ी बहस के बीच विश्व हिंदू परिषद ने यूसीसी को लेकर सरकार को सुझाव दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, विहिप के सुझाव में यूसीसी में महिलाओं के अधिकारों को लेकर जोर दिया गया है। विहिप ने कहा है कि यूसीसी के ड्राफ्ट में सरकार शादी, तलाक, संपत्ति के अधिकार, बच्चों के गोद लेने, तलाक देने के बाद गुजारा भत्ता जैसे मामलों को शामिल करे। इसके अलावा विहिप ने LGBTQ, लिव इन रिलेशनशिप शादी को कानूनी मान्यता और जनसंख्या नियंत्रण को यूसीसी से बाहर रखने का सुझाव दिया है।
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विश्व हिन्दू परिषद ने किया पीएम मोदी का समर्थन
विश्व हिन्दू परिषद ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि एक समान कानून 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लाएगा। विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया कि जब आपराधिक कानून, संविदा कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों ?
विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया। इसका कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है। विश्व हिन्दू परिषद प्रधानमंत्री की बात से सहमत है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि वह एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करें। कुमार ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि संविधान बनने के 73 साल बाद जो सांसद और विधायक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, वे इसका पालन नहीं कर सके।
विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरला मुद्गल एवं अन्य के मुकदमे में कहा कि अलग अलग नागरिक संहिता ठीक नहीं है। आलोक कुमार ने कहा कि जब देश में आपराधिक कानून एक हैं, भारतीय संविदा कानून (कॉन्ट्रैक्ट लॉ) एक हैं, वाणिज्यिक कानून एक हैं, कारोबार से जुड़े कानून एक हैं, तब परिवार संबंधी कानून अलग अलग क्यों हैं? उन्होंने कहा कि 1400 साल पुरानी स्थिति अलग थी और उस समय की परिस्थिति में बहु विवाह की प्रथा आई, वह तब की जरूरत हो सकती है। समय बदला है। नारी की गरिमा और समानता की बात सभी को स्वीकार करनी चाहिए। वह (नारी) पुरूष की सम्पत्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में किसी तरह के भेदभाव को समान नागरिक संहिता से दूर किया जा सकता है। कुमार ने कहा कि तलाक के नियम सभी के लिए एक से हों और केवल मौखिक कह देने से तलाक नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तलाक की स्थिति में गुजारा भत्ता की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा बच्चों की परवरिश की चिंता की जानी चाहिए। आलोक कुमार ने कहा कि एक समान कानून हमें 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी अपेक्षा की जाती है कि सभी धर्मों से अच्छी बातें ले कर एक ऐसा कानून बनेगा जो सभी के लिए जो अच्छा होगा।
बता दें कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? उन्होंने कहा था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है। विपक्षी पार्टियों ने समान नागरिक संहिता से जुड़़ी टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए उनपर महंगाई व बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने सवाल किया था कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लिया जाएगा।
देश में नया विवाद शुरूसमान नागरिक संहिता (UCC) पर देश में नया विवाद छिड़ गया है। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के बाद समान नागरिक संहिता पर राजनीतिक बहस फिर से शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत दो कानूनों पर नहीं चल सकता और समान नागरिक संहिता संविधान का हिस्सा है। इसे लेकर अब विपक्ष तो मोदी सरकार पर हमलावर है ही, मुस्लिम संगठनों ने भी इसके खिलाफ एकजुट होना शुरू कर दिया है। इस विवाद के बीच आइए जानते हैं क्या है यूसीसी और क्या कहता है संविधान। दिलचस्प ये भी है कि यूसीसी देश के सिर्फ एक राज्य में ही लागू है। कौन सा है ये राज्य जानते हैं।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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