Tirupati Laddu Row: क्या सच में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में मिलाई जा रही थी चर्बी? अब खुद देवस्थानम ट्रस्ट ने दिया बता

Tirupati Laddu Row: तिरुपति मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिले रहने का आरोप लगने के बाद अब इसकी जांच रिपोर्ट सामने आ गई है।

Tirupati Laddu Row.

तिरुपति के लड्डू में चर्बी का क्या है सच

मुख्य बातें
  • तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने बताई सच्चाई
  • तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी
  • ट्रस्ट की जांच में ही हुआ खुलासा

Tirupati Laddu Row: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद चर्बी मिले रहने का आरोप लग रहा है। जिसे लेकर अब तिरुपति मंदिर को मैनेज करने वाले ट्रस्ट ने ही सामने आकर सच्चाई बता दी है। ट्र्स्ट ने साफ कर दिया है कि प्रसाद में अपवित्र चीज पाई गई है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की कार्यकारी अधिकारी शमाला राव ने कहा कि यह कोई एक मिलावट नहीं है, लेकिन यह समझा जाता है कि इसमें (लड्डू में) पशु चर्बी भी थी।

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क्या है प्रसाद में चर्बी का सच

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की कार्यकारी अधिकारी शमाला राव ने इस विवाद पर कहा- "जब मैंने टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी का पद संभाला था, तो मुख्यमंत्री ने खरीदे गए घी और लड्डू की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी, जिसे बहुत पवित्र माना जाता है और 'प्रसादम' के रूप में चढ़ाया जाता है, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को। वह चाहते थे कि मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाऊं कि इस मंदिर की पवित्रता बहाल हो, जिसमें शुद्ध गाय के दूध का घी शामिल है। हमने शुरू किया उस पर काम कर रहे हैं... हमने पाया कि हमारे पास घी में मिलावट की जांच करने के लिए कोई आंतरिक प्रयोगशाला नहीं है। बाहरी प्रयोगशालाओं में भी घी की गुणवत्ता की जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। निविदाकर्ताओं द्वारा उद्धृत दरें अव्यवहारिक हैं, वे इतने कम हैं कि कोई भी कह सकता है कि शुद्ध गाय का घी इतने में नहीं आ सकता है... हमने सभी आपूर्तिकर्ताओं को चेतावनी दी थी कि अगर आपूर्ति किया गया घी लैब टेस्ट में पास नहीं हुआ तो उन्हें ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा... हमने सभी नमूने एकत्र किए और इसे भेज दिया यह सर्वोत्तम प्रयोगशाला है, यह सरकार द्वारा नियंत्रित है, और रिपोर्टें आई हैं और वे चौंकाने वाली हैं।"

घी में मिली थी सुअर की चर्बी

शमाला राव ने कहा कि हमने घी की गुणवत्ता देखी और हमें समझ नहीं आया कि यह घी है या तेल। राव ने कहा- ‘‘हमने पाया कि एक निजी पक्ष द्वारा आपूर्ति किए गए घी के चार टैंकर सही नहीं थे, तुरंत नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए बाहर भेजा गया। घी आपूर्तिकर्ताओं ने मंदिर में जांच सुविधाओं की कमी का फायदा उठाया। अधिकारियों ने नमूनों को निम्न स्तरीय पाया। परीक्षण के परिणाम से पता चला कि नमूना हालांकि घी जैसा प्रतीत होता है, लेकिन ऐसा नहीं था। प्रयोगशाला के परीक्षण से पता चला है कि नमूने में लार्ड (सुअर की चर्बी) की भी मिलावट थी।"

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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