हमें संस्थान की मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखनी चाहिए, BJP सांसद की टिप्पणी पर बोला सुप्रीम कोर्ट
याचिकाकर्ता तिवारी झारखंड के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयानों का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
SC over BJP MP's remarks: सुप्रीम कोर्ट पर हुई टिप्पणी के बाद शीर्ष अदालत ने संस्था की मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखने का आह्वान किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने यह टिप्पणी तब की, जब याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी ने वक्फ कानून में संशोधन के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा के दौरान नफरत भरे भाषणों को लेकर अपनी जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
भारत में गृह युद्धों के लिए बताया जिम्मेदार
तिवारी झारखंड के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयानों का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत में गृह युद्धों के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को भी दोषी ठहराया था। पीठ ने तिवारी से कहा, हमें आरोपों में भी संस्था की कुछ मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखनी चाहिए। अनुच्छेद 32 याचिका में किए गए कथन भी सम्मानजनक होने चाहिए। पीठ ने तिवारी को अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी और उनसे अदालत में कुछ ठोस लाने को कहा।
भाजपा ने 19 अप्रैल को दुबे की सुप्रीम कोर्ट की आलोचना से खुद को अलग कर लिया, पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने टिप्पणी को दुबे का निजी विचार बताया। उन्होंने लोकतंत्र के अभिन्न अंग के रूप में न्यायपालिका के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी के सम्मान की भी पुष्टि की। नड्डा ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को इस तरह की टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया है। तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और उत्तर 24 परगना में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़की और हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा।
याचिका में क्या-क्या दलीलें
याचिका में कहा गया है, कुछ लोगों के लिए यह राजनीति का अच्छा अवसर हो सकता है और कुछ राजनीतिक दल धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं। शांति बनाए रखने के बजाय राजनेता भड़काऊ भाषण देते हैं जिससे स्थिति और खराब होती है। याचिका में शीर्ष अदालत के 21 अक्टूबर, 2022 के आदेश का हवाला दिया गया है जिसमें अधिकारियों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
उन्होंने कहा, नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और संवैधानिक पदों पर बैठे राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। तिवारी ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन का निर्देश देने की मांग की।
याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार को किसी भी समुदाय और व्यक्तियों के संबंध में किए गए नफरत भरे और भड़काऊ भाषणों पर कार्रवाई करने और उन पर अंकुश लगाने का निर्देश देने की भी मांग की गई। वक्फ (संशोधन) अधिनियम से संबंधित हिंसा की ताजा घटनाएं 14 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर क्षेत्र में हुईं, जबकि पुलिस ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद में कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है।
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