'ड्रैगन' को चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद, सीधे टकराव से है बचता- China पर बोले चेलानी, समझाया- क्यों हम हो रहे 'फेल'

India-China Tension: उनका मानना है कि ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय माहौल चीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण हो रहा है, भारत को चीनी आक्रामकता को उजागर करने के लिए एक कूटनीतिक आक्रमण शुरू करना चाहिए। चीन का नाम लेकर और उसे शर्मिंदा करने के भारत के पास कई अवसर होते हैं लेकिन वह इससे परहेज करता है जबकि चीन अपनी आक्रामकता के बीच भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाता है।

India-China Tension: हिंदुस्तान के जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार ब्रह्म चेलानी ने कहा है कि चीन के खिलाफ लगातार डिफेंसिव मोड में (रक्षात्मक) रहने से भारतीय सुरक्षा बलों पर बोझ बढ़ता है। ड्रैगन चुपके से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है और आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। भारत उसे रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है।

चेलानी ने ये बातें समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा को दिए खास इंटरव्यू के दौरान कहीं। रोचक बात है कि उनकी ये टिप्पणियां ऐसे वक्त पर आई हैं, जब नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के फौजियों के बीच झड़प हो गई थी और उस दौरान दोनों पक्षों के जवान मामूली रूप से जख्मी हो गए थे। चीन की ऐसी ही चालबाजियों और विस्तारवाद के एजेंडे की पॉलिसी के मद्देनजर उन्होंने समाचार एजेंसी से विभिन्न मसलों पर बात की और बेबाकी से अपनी राय जाहिर की।

यह पूछे जाने पर कि तवांग में चीनी अतिक्रमण और इस पर भारत की प्रतिक्रिया को कैसे देखते हैं आप? उन्होंने दो टूक कहा- चीन चोरी से आक्रामकता दिखाना पसंद करता है। आमने-सामने की लड़ाई से बचने के लिए वह किसी भी हद तक जाता है। यही कारण है कि वह भारतीय सेना के साथ सीधे टकराव से बचता है। चीनी सेना एक ऐसी सेना है जिसमें काफी हद तक बलपूर्वक कर्मियों की भर्ती की जाती है। भारत में स्थिति इसके विपरीत है। स्वयं लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत की कमजोरी उसकी रणनीति है। वह प्रतिक्रियाशील होने और जोखिम से बचने वाली रणनीतिक संस्कृति पर भरोसा करता है।

उनके मुताबिक, "वास्तव में, लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में बदलाव करने की कोशिशों में असफल होने के कारण, चीन अब पूर्वी क्षेत्र में अपने विस्तारवाद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वह भी सर्दियों के मौसम में जब स्थितियां बेहद ठंडी होती हैं।" क्या चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत को इससे सचेत रहना चाहिए?

इस प्रश्न पर वह बोले- ऐसे आक्रामक दुश्मन के खिलाफ लगातार रक्षात्मक बने रहना भारतीय सुरक्षा बलों पर बड़ा बोझ डालता है, क्योंकि चीनी सैन्य आक्रामकता का अनुमान लगाने या प्रतिक्रिया देने में एक भी चूक महंगी साबित हो सकती है। हमें अप्रैल 2020 की घटना से सबक लेना चाहिए, जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कुछ प्रमुख सीमावर्ती क्षेत्रों में चुपके से अतिक्रमण कर लिया था। चीनी हमेशा भारतीयों को आश्चर्यचकित करने के लिए समय और स्थान चुनते हैं।

ड्रैगन के मुकाबले के लिए देश की क्या रणनीति होनी चाहिए? वह बोले- हम चीन को रोकने में काफी हद तक विफल हो रहा है क्योंकि भारत सरकार यह समझने से इनकार करती है कि प्रतिरोध केवल सैन्य ताकत के बारे में नहीं है। प्रभावी होने के लिए, प्रतिरोध की प्रकृति व्यापक होनी चाहिए और रणनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर इसका नेतृत्व किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि भारत को व्यापार और कूटनीतिक मंच का उपयोग करना चाहिए। भारत के अब तक के मुख्य कदम चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाना और भारत सरकार के अनुबंधों तक चीनी कंपनियों की पहुंच को प्रतिबंधित करना रहा है। यह सब बुरी तरह से अपर्याप्त साबित हुए हैं।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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