मनमोहन सिंह ने गरीबों के लिए क्या-क्या किया? चिदंबरम ने गिनाई उनकी ये उपलब्धियां; एक क्लिक में जानें सबकुछ
Manmohan Singh for Poor: वैसे तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम कई बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि उन्होंने पीएम की कुर्सी पर रहते हुए गरीबों के लिए क्या कुछ किया था? देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने उनकी उपबल्धियां गिनाई हैं। आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन ने नए आर्थिक दौर को भी कैसे राह दिखाई।
मनमोहन सिंह की उपलब्धियां।
Manmohan Singh's Achievements: प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए मनमोहन सिंह ने हर वर्ग के लिए कई बड़े कार्य किए। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी। अपने आर्थिक सुधारों के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने वाले पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। जब सिंह ने 1991 में पी वी नरसिम्ह राव की सरकार में वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली थी, तब भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा भी जीडीपी के 3.5 प्रतिशत के आसपास था। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने गरीबों के लिए क्या कुछ किया?
चिदंबरम ने गिनाई मनमोहन सिंह की उपलब्धियां
देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बताया है कि गरीबों के प्रति मनमोहन सिंह की गहरी सहानुभूति थी। चिदंबरम ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में बात करना मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और कार्य तथा 1991 से 2014 तक का कालखंड भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय होगा। मैंने कई वर्षों तक उनके साथ मिलकर काम किया है। मैं डॉ. सिंह से अधिक विनम्र और विनम्र व्यक्ति से नहीं मिला। उन्होंने अपनी विद्वता को हल्के में लिया और अपनी किसी भी ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय कभी नहीं लिया। डॉ. सिंह के वित्त मंत्री बनने के बाद भारत की कहानी बदल गई। और भारत का वर्तमान मध्यम वर्ग वस्तुतः वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नीतियों का ही परिणाम है।
चिदंबरम ने आगे कहा कि अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, गरीबों के प्रति उनकी गहरी सहानुभूति थी। उन्होंने इस तथ्य को नहीं छिपाया कि भारत में लाखों लोग गरीब हैं और हमें याद दिलाया कि सरकार की नीतियों का झुकाव गरीबों के पक्ष में होना चाहिए। उनकी सहानुभूति के उदाहरण हैं मनरेगा और पीडीएस का पुनर्गठन तथा मध्याह्न भोजन योजना का विस्तार। उनकी कहानी पूरी तरह से नहीं बताई गई है। उनकी उपलब्धियों को पूरी तरह से दर्ज नहीं किया गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि जब हम डॉ. सिंह के सक्रिय राजनीति में बिताए 23 वर्षों को देखेंगे तो हमें उनके वास्तविक योगदान का एहसास होगा।
मनमोहन ने नए आर्थिक दौर को भी राह दिखाई
देश के पास जरूरी आयात के भुगतान के लिए भी केवल दो सप्ताह लायक विदेशी मुद्रा ही मौजूद थी। इससे साफ पता चलता है कि अर्थव्यवस्था बहुत गहरे संकट में थी। ऐसी परिस्थिति में डॉ सिंह ने केंद्रीय बजट 1991-92 के माध्यम से देश में नए आर्थिक युग की शुरुआत कर दी। यह स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसमें साहसिक आर्थिक सुधार, लाइसेंस राज का खात्मा और कई क्षेत्रों को निजी एवं विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जैसे कदम शामिल थे। इन सभी उपायों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का था। भारत को नई आर्थिक नीति की राह पर लाने का श्रेय डॉ सिंह को दिया जाता है। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), रुपये के अवमूल्यन, करों में कटौती और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की अनुमति देकर एक नई शुरुआत की।
आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति की शुरुआत में उनकी भूमिका को दुनिया भर में स्वीकार किया जाता है। उनकी नीतियों ने ही भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण की दिशा में ले जाने का काम किया। वह 1996 तक वित्त मंत्री के तौर पर आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाते रहे। सिंह को मई 2004 में देश की सेवा करने का एक और मौका मिला और इस बार वह देश के प्रधानमंत्री बने। अगले 10 वर्षों तक उन्होंने देश की आर्थिक नीतियों और सुधारों को मार्गदर्शन देने का काम किया। उनके कार्यकाल में ही 2007 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर नौ प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंची और दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया।
गरीबों के लिए रोशनी की तरह रही मनमोहन सरकार की ये योजना
वह 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लेकर आए और बिक्री कर की जगह मूल्य वर्धित कर (वैट) लागू हुआ। इसके अलावा डॉ सिंह ने देश भर में 76,000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना लागू कर करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचाने का काम किया। उन्होंने 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के समय भी देश का नेतृत्व किया और मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए एक विशाल प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। उनके कार्यकाल में ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के माध्यम से 'आधार' की शुरुआत हुई। इसके अलावा उन्होंने वित्तीय समावेशन को भी बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया और प्रधानमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान देश भर में बैंक शाखाएं खोली गईं। भोजन का अधिकार और बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम जैसे अन्य सुधार भी उनके कार्यकाल में हुए।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें
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