क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर? जिसकी वजह से मिजोरम में मचा हड़कंप; 3 जिलों में हजार से ज्यादा सूअरों की मौत
African Swine Fever: मिजोरम पिछले कुछ सालों से एक ऐसा वायरस का सामना कर रहा है जिसकी वजह से उसे सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। मिजोरम के जिन तीन जिलों के 34 इलाकों को संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया है वह बांग्लादेश और म्यांमार सीमा से लगे हुए हैं। इनमें लॉन्ग्टलाई, ममित और सियाहा जिले शामिल हैं।

सूअरों की हो रही मौत
African Swine Fever: मिजोरम पिछले कुछ सालों से एक ऐसा वायरस का सामना कर रहा है जिसकी वजह से उसे सालाना करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है। पिछले माह उभरे इस अजीबो गरीब वायरस की वजह हजार से ज्यादा सूअरों की मौत हो गई। राज्य पशुपालन के पशु चिकित्सा विभाग ने तीन जिलों के 34 इलाकों को संक्रमित क्षेत्र घोषित कर दिया है।
इन जिलों में मचा कोहराम
मिजोरम के जिन तीन जिलों के 34 इलाकों को संक्रमित क्षेत्र घोषित किया गया है वह बांग्लादेश और म्यांमार सीमा से लगे हुए हैं। इनमें लॉन्ग्टलाई, ममित और सियाहा जिले शामिल हैं। राज्य सरकार मामले पर अपनी पैनी निगाह बनाए हुए हैं।
मिजोरम के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग (AHVD) की टीमों ने अब तक तीन जिलों में 400 से अधिक सूअरों और सूअर के बच्चों को मारा है। दरअसल, सूअर इस साल भी अफ्रीकी स्वाइन फीवर से ग्रसित हो रहे हैं। इसका पहला मामला 20 मार्च को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (NERDDL) में जांच के सामने आया था।
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क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर?
अफ्रीकी स्वाइन फीवर एक घातक वायरल बीमारी है। इसकी जद में आने वाले सूअरों की तेजी से मौत हो सकती है। इस वायरस का कोई टीका या इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, यह वायरस मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं है। यह वायरस दूषित भोजन, पानी, सूअरों के बीच सीधे संपर्क इत्यादि माध्यमों से फैलती है।
इस वायरस के नाम से ही आपको लोगों को यह पता चल गया होगा कि आखिर यह कहां से फैला है। दरअसल, यह वायरस पहली बार अफ्रीका में देखा गया था, लेकिन धीरे-धीरे यूरोप, एशिया और अन्य देशों में भी मामले दिखाई देने लगे। अगर मिजोरम की बात की जाए तो यहां पर अफ्रीकी स्वाइन फीवर का प्रकोप म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों से आयातित सूअर या सूअर के मांस की वजह से होता है।
मिजोरम को झेलना पड़ा भारी नुकसान
पिछले साल अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप के कारण मिजोरम को 336.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिसमें 15 हजार सूअर मर गए, जबकि लगभग 24,200 सूअरों को मार दिया गया था। इस वायरस का प्रकोप मार्च 2021 के मध्य में शुरू हुआ और तब से किसानों और सरकारी खेतों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
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साल 20221 में लगभग 33,417 सूअर और सूअर के बच्चे मर गए और 12,568 को मार दिया गया था, जबकि 2022 में कम से कम 12,795 सूअर और सूअर के बच्चे मर गए और 11,686 को मार दिया गया। हालांकि, 2023 में थोड़ी बहुत राहत मिली। 2023 में 1139 सूअर और सूअर के बच्चे मर गए और 980 सूअरों को मार दिया गया था।
एएचवीडी के एक अधिकारी ने हिंदी समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि मिजोरम को अफ्रीकी स्वाइन फीवर की वजह से सूअरों की मौत और उन्हें मारे जाने की वजह से 334.14 करोड़ रुपयेस 2022 में 210.32 करोड़ रुपये और 2023 में 15.77 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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