क्या है AFSPA? जम्मू-कश्मीर से जिसे हटाने पर विचार करेगी केंद्र सरकार
What is AFSPA: अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार अफस्पा को हटाने पर विचार करेगी, जम्मू-कश्मीर से सेना वापस बुलाने की योजना है। क्या आप जानते हैं कि आखिर ये AFSPA क्या है? ये पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। आपको बताते हैं कि ये कानून पहली बार कब लागू हुआ था।

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम का इतिहास।
Jammu-Kashmir: क्या आप जानते हैं कि AFSPA क्या है, जिसे जम्मू-कश्मीर से हटाने के बारे में केंद्र सरकार विचार कर रही है। इस कानून का इतिहास क्या है और स्वतंत्र भारत में इसे पहली बार कब और कहां लागू किया गया था? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा) को वापस लेने पर विचार करेगी।
क्या है AFSPA- सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम?
AFSPA एक कानून है, जिसके तहत सशस्त्र बलों और "अशांत क्षेत्रों" में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने या बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने एक अभियोजन और कानूनी मुकदमों से सुरक्षा के साथ निरंकुश अधिकार देता है।
AFSPA- सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम का इतिहास
वर्ष 1947 में चार अध्यादेश जारिए किए गए थे, जिसके माध्यम से AFSPA का पुनर्गठन किया गया था। इस कानून को ब्रिटिश-काल में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिये बनाया गया था। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में प्रभावी वर्तमान कानून AFSPA को वर्ष 1958 में देश के तत्कालीन गृह मंत्री जीबी पंत ने संसद में पेश किया था। इस कानून को शुरू में सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 के रूप में जाना जाता था।
वर्ष 1972 में इस अधिनियम को संशोधित किया गया और इस संशोधन में किसी क्षेत्र को "अशांत" घोषित करने की शक्तियां राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी प्रदान की गई थीं। वर्तमान में AFSPA पू्र्वोत्तर के कुछ हिस्सों और जम्मू-कश्मीर में लागू है।
अमित शाह ने कहा- हम AFSPA हटाने के बारे में भी सोचेंगे
शाह ने एक निजी मीडिया ग्रुप से इंटरव्यू में यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश में सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है। उन्होंने कहा, 'हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। पहले, जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।'
विवादास्पद AFSPA पर गृह मंत्री ने कहा, 'हम अफस्पा हटाने के बारे में भी सोचेंगे।' अफस्पा अशांत क्षेत्रों में सक्रिय सशस्त्र बलों के कर्मियों को ‘‘लोक व्यवस्था कायम’’ रखने के लिए आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने अफस्पा हटाने की मांग की है।
'सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में होंगे विधानसभा चुनाव'
अमित शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और लोगों का लोकतंत्र होगा।' सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रशासित प्रदेश में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है। अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि पहली बार, जम्मू-कश्मीर के ओबीसी को मोदी सरकार ने आरक्षण दिया है और महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया है।
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