अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से ED फिर से चर्चा में, जानिए इसका इतिहास और कैसे करता है काम?

निदेशालय का गठन 1 मई, 1956 को किया गया था। विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग में 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया था।

ED Arrested Arvind Kejriwal

ED ने किया केजरीवाल को गिरफ्तार

Enforcement Directorate: दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED)फिर से चर्चा में है। जांच एजेंसी के 9 नोटिस पर भी पेश नहीं होने वाले केजरीवाल को आखिरकार ईडी ने आज गिरफ्तार कर लिया। पिछले महीने ही ईडी ने खनन घोटाले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। बहरहाल, पिछले कुछ वर्षों में ईडी अपनी कार्रवाइयों को लेकर चर्चा में है। इस जांच एजेंसी के खिलाफ विपक्ष सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। आइए जानते हैं क्या है ईडी का इतिहास और ये कैसे काम करता है।

क्या-क्या करता है ईडी

ईडी ऐसी जांच एजेंसी है जो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच करता है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कार्य करता है। भारत सरकार की एक प्रमुख वित्तीय जांच एजेंसी के रूप में प्रवर्तन निदेशालय भारत के संविधान और कानूनों तहत कार्य करता है।

1 मई 1956 को गठन

निदेशालय का गठन 1 मई, 1956 को किया गया था। विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) 1947 के तहत विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से निपटने के लिए आर्थिक मामलों के विभाग में 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया था। इसका मुख्यालय दिल्ली में था। कानूनी सेवा के अधिकारी को प्रवर्तन निदेशक के रूप नियुक्त किया जाता था। इसकी दो शाखाएं बंबई और कलकत्ता में थीं।

साल 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया और मद्रास (अब चेन्नई) में एक और शाखा खोली गई। 1960 में निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया था। समय बीतने के साथ फेरा 1947 को निरस्त कर दिया गया और फेरा 1973 अस्तित्व में लाया गया।

जून 2000 में लागू हुआ फेमा

आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत के साथ फेरा 1973, जो एक नियामक कानून था, उसे निरस्त कर दिया गया और इसके स्थान पर एक नया कानून बनाया गया। 1 जून 2000 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) लागू हुआ। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय एंटी मनी लॉन्ड्रिंग व्यवस्था के अनुरूप मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) लागू हुआ और 1 जुलाई 2005 को ईडी के तहत लाया गया।

ईडी की संरचना

  • प्रवर्तन निदेशालय का मुखिया नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में तैनात इसका निदेशक होता है।
  • प्रवर्तन के विशेष निदेशकों की अध्यक्षता में मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली में पांच क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
  • निदेशालय के 10 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक उप निदेशक करता है। 11 उप क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक सहायक निदेशक द्वारा किया जाता है।
  • अधिकारियों की भर्ती सीधे और अन्य जांच एजेंसियों के जरिए होती है।

ईडी के क्या-क्या कार्य हैं?

कोफेपोसा: विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) के तहत इस निदेशालय को फेमा के उल्लंघन के संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा): यह विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से जुड़े कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया एक नागरिक कानून है। ईडी को विदेशी मुद्रा कानूनों और नियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की जांच करने, कानून का उल्लंघन करने पर कार्रवाई करने और उन पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की सिफारिशों के बाद भारत ने PMLA अधिनियमित किया। ईडी को अपराध की कमाई से हासिल संपत्ति का पता लगाने के लिए जांच करने, संपत्ति को कुर्क करने और विशेष अदालत द्वारा अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए PMLA के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार है।

IPS और IAS अधिकारी शामिल

इसमें भारतीय राजस्व सेवा (IRS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी शामिल होते हैं जैसे आयकर अधिकारी, उत्पाद शुल्क अधिकारी, सीमा शुल्क अधिकारी और पुलिस विभाग। नवंबर 2021 में भारत के राष्ट्रपति ने दो अध्यादेशों को लागू किया, जिससे केंद्र को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने की अनुमति मिली।

दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (DSPE) अधिनियम, 1946 (ईडी के लिए) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) अधिनियम, 2003 (सीवी आयुक्तों के लिए) में संशोधन किया गया ताकि सरकार को दोनों एजेंसियों के प्रमुखों को दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा एक साल का विस्तार देने की शक्ति मिल सके। केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुखों का दो साल का कार्यकाल तय है, लेकिन अब उन्हें तीन साल का विस्तार दिया जा सकता है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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