चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर क्यों छिड़ा है सियासी संग्राम? जानें विधेयक में ऐसा क्या है

CM Mamata Banerjee Attacks Centre: मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 को लेकर सियासी उठापटक का दौर शुरू हो चुका है। मोदी सरकार पर विपक्ष इस बिल को लेकर लगातार लपेटे में ले रहा है। इसी कड़ी में ममता बनर्जी ने भी केंद्र पर हमला बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपील की है।

Mamata Banerjee, EC Appointments Bill

ममता बनर्जी ने भी केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला।

Political Battle On EC Appointments Bill: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त विधेयक पेश करने पर मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अराजकता के आगे झुकती है। उन्होंने ट्वीट के जरिए केंद्र पर सवाल उठाया और लिखा कि 'न्यायपालिका के सामने झुकने के आह्वान के बीच, भाजपा अराजकता के आगे झुक रही है! मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के चयन के लिए 3 सदस्यीय समिति में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की भूमिका महत्वपूर्ण है। हम ईसी चयन में सीजेआई की जगह एक कैबिनेट मंत्री को रखने का कड़ा विरोध करते हैं। इससे वोट में हेरफेर और नुकसान हो सकता है।'

ममता बनर्जी बोलीं- 'माई लॉर्ड, हमारे देश को बचाएं'

ममता बनर्जी ने कहा कि 'भारत को न्यायपालिका के प्रति इस घोर उपेक्षा पर सवाल उठाना चाहिए। क्या उनका लक्ष्य न्यायपालिका को मंत्री द्वारा संचालित कंगारू अदालत में बदलना है? हम भारत के लिए न्यायपालिका से प्रार्थना करते हैं। माई लॉर्ड, हमारे देश को बचाएं।' गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल को विनियमित करने के लिए एक विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया था, विपक्षी दलों ने इसे पेश करने का कड़ा विरोध किया था।

प्रधानमंत्री करेंगे इस पैनल की अध्यक्षता

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 पेश किया। विधेयक चुनाव आयोग द्वारा व्यवसाय के लेन-देन की प्रक्रिया से भी संबंधित है। विधेयक में प्रस्ताव है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाएगी। प्रधानमंत्री इस पैनल की अध्यक्षता करेंगे।

विधेयक के लागू होने पर क्या बदल जाएगा?

यदि यह विधेयक प्रभाव में आता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को खारिज कर देगा जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर की जाएगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उसके द्वारा रेखांकित प्रक्रिया संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक लागू रहेगी।

विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को जमकर कोसा

प्रस्तावित विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को "प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली" बनाना है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक ज़बरदस्त प्रयास।' वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि 'यह बिल दिखाता है कि प्रधानमंत्री संसद में बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को बदल देंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएगा।'

अरविंद केजरीवाल के जवाब में बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि 'सरकार के पास बिल लाने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने वैधानिक तंत्र की अनुपस्थिति में सीईसी की नियुक्ति के लिए एक अस्थायी तरीका सुझाया था। इसके लिए एक विधेयक लाना सरकार का अधिकार है।'

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