क्या होता है Genome Testing, पकड़ में आ जाए खराब जीन तो कैंसर-डायबिटीज से छुटकारा
वैसे तो कैंसर. डायबिटीज का इलाज दुनिया के अलग अलग हिस्सों में हो रहा है। लेकिन पूर्ण रूप से निदान के लिए शोध जारी है। ऐसा माना जाता है कि जीन में दोष की वजह से इस तरह की असाध्य बीमारियां होती हैं।
जीनोम टेस्टिंग
what is genome testing: कहा जाता है कि अगर आपका तन और मन दोनों बेहतर हों तो किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं। अब बेहतर तन तभी होगा जब आप स्वस्थ हों। लेकिन आपने यह भी देखा होगा कि अक्सर हम सब किसी नी किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्यों का सामना कर रहे होते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी वजह है जो हमारी परेशानियों के लिए जिम्मेदार है। आमतौर पर कोई भी इंसान दो तरह की बीमारी का सामना करता है। पहला तो मौसमी और दूसरा जीन के दोषों की वजह है। असाध्य बीमारियों की जड़ में जीन में दोष को जिम्मेदार माना जाता है। कैंसर, डायबिटीज, पार्किंसन, अल्जाइमर जैसी बीमारियों के लिए भी जीन को उत्तरदायी बताया गया है।दुनिया के अलग अलग हिस्सों में इन असाध्य बीमारियों पर शोध जारी है। इन सबके बीच उद्योगपति मुकेश अंबानी ने इस कारोबार में उतरने का फैसला किया है। जीनोम टेस्टिंग के लिए जो किट वो उपलब्ध कराएंगे उसकी कीमत 12 हजार रुपए होगी। लेकिन यहां जीनोम टेस्टिंग के बारे में बताएंगे।
एक नजर में जीनोम टेस्टिंग
- जीनोम टेस्टिंग में डीएनए का परीक्षण किया जाता है।
- इसके जरिए आप की जीन में होने वाले बदलाव के बारे में जानकारी मिलती है।
- डीएनए केमिकल डाटाबेस है, जिसमें लगातर बदलाव होते रहते हैं।
- जेनिटिक टेस्टिंग के फायदे तो हैं लेकिन दायरा सीमित।
- फर्ज करें कि आप स्वस्थ हों और जेनिटिक टेस्ट में सब कुछ ठीक हो तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप बीमार नहीं होंगे।
- इसके साथ ही अगर रिजल्ट नकारात्मक हो तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप बीमार हो जाएंगे।
- हर एक का जीन यूनिक होता है, किसी एक शख्स के डीएनए की वजह से दूसरे के बीमारी के बारे में नहीं जान सकते।
जेनेटिक टेस्टिंग ही जीनोम टेस्टिंग
जेनेटिक टेस्टिंग को ही कभी कभी जीनोम टेस्टिंग भी कहा जाता है। इसके जरिए शोधकर्ता जीन में परिवर्तन के बारे में अध्ययन करते हैं। इसके जरिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को तलाशने की कोशिश होती है। खासतौर से कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों के वजहों को जानने की कोशिष कोविड काल और उसके बाद जीनोम टेस्टिंग पर जोर बढ़ा है। खासतौरज्यादातर टेस्ट में सिंगल जीन के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसके जरिए फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम और ड्यूच मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की पहचान की जाती है।
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ललित राय author
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