Land For Job Scam: लालू यादव और तेजस्वी को फिर ईडी ने जारी किया समन, जानें पूरा माजरा
Bihar News Today: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और उनके बेटे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नौकरी के बदले जमीन’ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फिर समन जारी किया है। लालू को 29 और तेजस्वी को 30 जनवरी को पेश होने के लिए कहा गया है।
लालू और तेजस्वी को ईडी ने फिर जारी किया समन।
Land For Job Scam: क्या आप जानते हैं कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामला आखिर है क्या? जिसके चलते लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ बार-बार जांच एजेंसियां नोटिस जारी करती हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू और इनके बेटे तेजस्वी को एक बार समन जारी किया है।
लालू और तेजस्वी को फिर ईडी ने जारी किया समन
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में लालू प्रसाद और उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपने पटना कार्यालय में पूछताछ के लिए पेश होने को लेकर फिर से समन जारी किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
लालू को 29 और तेजस्वी को 30 जनवरी को बुलाया
उन्होंने बताया कि प्रसाद को जहां 29 जनवरी को पेश होने के लिए कहा गया है, वहीं तेजस्वी को 30 जनवरी को बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि एक टीम समन देने के लिए प्रसाद की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पटना स्थित आधिकारिक आवास पर गई थी। लालू और तेजस्वी को पटना के बैंक रोड स्थित ईडी कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है। दोनों इस मामले में जारी किए गए पूर्व समन पर पेश नहीं हुए थे। कथित घोटाला उस समय का है, जब प्रसाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे।
क्या है 'रेलवे में नौकरी के बदले जमीन' घोटाला?
साल 2004 से 2009 के बीच की बात है, जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में लालू यादव रेल मंत्री हुआ करते थे। रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को कथित तौर पर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों से जुड़ा ये पूरा मामला है। कहा जाता है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू और उनके कुछ खास लोग रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर जमीन का सौदा कर रहे थे। आरोप लगे कि जो रेलवे में नौकरी पाना चाहते थे, ऐसे सैकड़ों लोगों ने अपनी जमीन लालू यादव के परिवार या उनके करीबियों के नाम कर दी थी।
कब और कैसे खुल गया सारा खेल?
ऐसा दावा किया जाता है कि ये पूरा झोल तब खुला, जब कुछ लोगों ने अपनी जमीन तो दे दी, मगर उन्हें नौकरी नहीं मिली। मामला सामने आने के बाद जब जांच एजेंसी ने शिकंजा कसा तो सीबीआई ने अदालत को ये बताया था कि उसके पास करीब 1450 आवेदन है जो रेल मंत्री या जोनल मैनेजर को भेजे गए थे। सीबीआई ने ये भी दावा किया था कि कुछ अहम दस्तावेज भी उसके पास मौजूद हैं, जिसके तार लालू परिवार से जुड़े हैं। इसी के बाद से छापेमारी का सिलसिला शुरू हुआ था।
आरोप है कि 2004 से 2009 तक, भारतीय रेलवे के विभिन्न जोन में समूह ‘डी’ पदों पर कई व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और बदले में, इन व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एक संबंधित कंपनी ए. के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी।
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