क्या होता है ऑनलाइन कट्टरपंथ? जिसे भारत ने वैश्विक सुरक्षा के लिए बताई महत्वपूर्ण चुनौती

What is Online Radicalization: ऑनलाइन कट्टरपंथ को भारत ने वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौती करार दिया है। आप जानते हैं कि आखिर ऑनलाइन कट्टरपंथ क्या होता है? बता दें, इसका जिक्र आतंकवादी कृत्यों और संबंधित अपराधों के संदर्भ में किया जाता है। आपको इससे जुड़ी कुछ अहम बातें समझाते हैं।

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सांकेतिक तस्वीर।

India on Online Radicalization: भारत ने "अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद" के बीच कोई अंतर नहीं होने की बात को रेखांकित करते हुए कहा है कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। आपको बताते हैं कि आखिर ये ऑनलाइन कट्टरपंथ क्या होता है और इसे किस संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है।

कितना घातक होता है ऑनलाइन कट्टरपंथ?

ऑनलाइन कट्टरपंथ किसी बड़े खतरे से कम नहीं है, जिसका संबंध आतंकवादी कृत्यों और संबंधित अपराधों से है। ऑनलाइन कट्टरपंथ से संबंधित खतरे को लेकर बार-बार सवाल खड़े होते रहे हैं। बता दें, चरमपंथी विचारधाराओं के प्रसार और अपनाने के लिए ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कई भिन्न-भिन्न प्रकार होते हैं। ये बड़े स्तर पर फैला हुआ है। इसके तहत सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना आम बात है। वर्तमान में इससे जुड़ी कई शिकायतें भी सामने आ चुकी है।

ऑनलाइन कट्टरपंथ का दुरुपयोग समझिए

आतंकवादी अपराधों में ऑनलाइन कट्टरपंथ की भूमिका एक तंत्र की तरह होती है। जिसका नतीजा बेहद भयावह हो सकता है। इसके जरिए देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। जिसमें ऑनलाइन गतिविधियों के माध्यम से लोगों का ब्रेनवॉश करने की कोशिश होती है। ऑनलाइन कट्टरवाद प्रक्रिया न केवल आतंकवाद के क्षेत्र में, बल्कि शिकायत-आधारित हिंसा के व्यापक क्षेत्र में भी बड़ी चिंता का विषय रही है। ऑनलाइन कट्टरपंथ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है जिसके दौरान व्यक्ति इंटरनेट, विशेष रूप से सोशल मीडिया और ऑनलाइन संचार के अन्य रूपों के माध्यम से चरमपंथी मान्यताओं और दृष्टिकोणों के संपर्क में आते हैं, उनका अनुकरण करते हैं और उन्हें आत्मसात कर लेते हैं।

अध्ययन में किया गया है इस बात का जिक्र

सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के आगमन से कट्टरता बढ़ी है। एक अध्ययन में इस बात का जिक्र किया गया है कि वैश्विक स्तर पर व्यक्तियों को प्रभावित करने के लिए थिंक-टैंक का इस्तेमाल किया जाता है। क्लार्क मैककौली और सोफिया मोस्केलेंको ने 2008 में कहा था कि कट्टरपंथ को हमेशा राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा गया है। उन्होंने बताया था कि इस प्रक्रिया की विशेषता हिंसक साधनों के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता और उपयोग है। इसके अलावा कई शोध में अहम बातों का जिक्र किया जा चुका है। निश्चित तौर पर ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन (इंटरनेट के माध्यम से होने वाला कट्टरपंथ) के कारण बड़ी से बड़ी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। यही वजह है कि भारत ने भी इसे वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौती करार दिया है।

CBI निदेशक ने चुनौतियों पर डाला प्रकाश

फ्रांस के ल्योन में नेशनल सेंट्रल ब्यूरो के प्रमुखों के हाल ही में संपन्न 19वें इंटरपोल सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक प्रवीण सूद ने संगठित अपराध, आतंकवाद और चरमपंथी विचारधाराओं के बीच साठगांठ से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला। सूद ने कहा कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।

उन्होंने स्पष्ट रूप से सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की और कहा कि "अच्छे आतंकवाद, बुरे आतंकवाद" के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। सीबीआई द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम में 136 देशों के नेशनल सेंट्रल ब्यूरो ने भाग लिया, जिसका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने किया। प्रत्येक देश में नेशनल सेंट्रल ब्यूरो (एनसीबी) इंटरपोल के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार नोडल संगठन है। भारत में, सीबीआई को एनसीबी नामित किया गया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए इंटरपोल और एनसीबी के बीच सहयोग को मजबूत करना था।

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