क्या है पुश-पुल तकनीक, जिसका अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन में हुआ है इस्तेमाल?
What is Push Pull Technique: उनके मुताबिक, "पुश-पुल तकनीक का मतलब है कि ट्रेन में दो इंजन होते हैं, एक आगे और दूसरा आखिर में। आगे वाला इंजन ट्रेन को खींचता है तो वहीं पीछे वाला इंजन ट्रेन को आगे की तरफ धकेलता है।''
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
What is Push Pull Technique: अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन में एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसका नाम पुश-पुल टेक्नोलॉजी (तकनीक) है। हिंदुस्तान में इस तरह तकनीक वाली पहली अमृत भारत ट्रेन जल्द ही चलाई जाएगी।
सोमवार (25 दिसंबर, 2023) को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही इस तकनीक वाली पहली अमृत भारत ट्रेन को अयोध्या से हरी झंडी दिखाएंगे। वह इस दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इसके कोच और इंजन का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
वैष्णव ने पत्रकारों से कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत जल्द अयोध्या से इसे हरी झंडी दिखाएंगे।'' उन्होंने नई ‘पुश-पुल’ तकनीक की जानकारी दी, जो उनके मुताबिक ट्रेन के संचालन को अधिक सुरक्षित बनाती है।
वह आगे बोले कि यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए कई नई सुविधा शामिल की गई हैं। ट्रेनों को चलाने में दुनिया भर में दो तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है पहली ‘‘वितरित बिजली प्रौद्योगिकी और दूसरी पुश-पुल तकनीक।’’
वैष्णव ने कहा, ''वितरित बिजली प्रौद्योगिकी में हर दूसरे या तीसरे डिब्बे में एक मोटर होती है, जो ट्रेन के ऊपर लगे उपकरण के जरिए बिजली की आपूर्ति से चलती है। वंदे भारत ट्रेन वितरित बिजली प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं।"
उनके मुताबिक, "पुश-पुल तकनीक का मतलब है कि ट्रेन में दो इंजन होते हैं, एक आगे और दूसरा आखिर में। आगे वाला इंजन ट्रेन को खींचता है तो वहीं पीछे वाला इंजन ट्रेन को आगे की तरफ धकेलता है।''
वैष्णव ने कहा कि ट्रेन में ‘पुश-पुल’ तकनीक को शामिल करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं, जो गति को तेज करने और गति को कम करने में मदद करती हैं। बकौल रेल मंत्री, ''ट्रेन की गति को बेहतर तरीके से बढ़ाना और घटाना उन पुलों, मोड़ों और अन्य स्थानों पर समय बचाने में मदद करेगा, जहां ट्रेनों की गति कम होती है।''
उन्होंने कहा कि अगर अमृत भारत ट्रेन दिल्ली से कोलकाता के बीच चलती है तो दूरी तय करने में पारंपरिक ट्रेन की तुलना में लगभग दो घंटे कम समय लगेगा। पीएम मोदी की ओर से ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद रेलवे चार से पांच महीने तक ट्रेन का सामान्य परिचालन करेगा और देखेगा कि कहीं कोई तकनीकी दिक्कत तो नहीं है।
वैष्णव ने कहा, ''इसके बाद हर महीने इस मॉडल की 20 से 30 ट्रेन तैयार की जाएंगी। हमने वंदे भारत के साथ भी यही किया। हमने एक साल तक ट्रेन चलाई और फिर उत्पादकता बढ़ाते हुए इसमें सुधार किया।'' उन्होंने कहा कि बाद में चलाई जाने वाली ट्रेनों में सामान्य श्रेणी से लेकर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी तक की व्यवस्था होगी। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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