क्या है राम वन गमन पथ,जिस पर भगवान राम के दौर की हैं निशानियां

Sri Ram Van Gaman Path: राम वन गमन पथ को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लेकर छत्तीसगढ़ में विकसित किया जा रहा है। अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 साल की यात्रा में करीब 240 से ज्यादा स्थान है, जहां भगवान राम , माता सीता और लक्ष्मण रुके, या वह किसी न किसी घटना से जुड़े रहे।

राम वन गमन पथ

मुख्य बातें
  • अयोध्या से वन गमन को जब भगवान श्रीराम चले तो वह उत्तर प्रदेश में करीब 37 स्थलों से गुजरे थे।
  • छत्तीसगढ़ को भगवान श्री राम का ननिहाल माना जाता है। उनकी माता कौशल्या का मायका छत्तीसगढ़ में है।
  • 14 साल के वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में काफी समय बिताया था।

Sri Ram Van Gaman Path:भगवान को जब वनवास मिला था, तो वह अयोध्या ( Ayodhya) से चलते हुए जिन रास्तों से गुजरे, उस वन गमन को अब राम वन गमन पथ (Ram Van Gaman Path) बनाया जा रहा है। राम वन गमन पथ को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और लेकर छत्तीसगढ़ में विकसित किया जा रहा है। दशहरे के मौके पर आज हम आपको उस राम वन गमन पथ के बारे में बता रहे हैं। जहां पर राम वन गमन पथ का निर्माण किया जा रहा है। अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 साल की यात्रा में ऐसे करीब 248 स्थान है, जहां भगवान राम (Lord Ram), माता सीता और लक्ष्मण ने या तो विश्राम किया और किसी न किसी घटना से वह जुड़े।

यूपी में निषाद राज का राज्य से लेकर भरत मुनि का आश्रम

अयोध्या से वन गमन को जब भगवान श्रीराम चले तो वह उत्तर प्रदेश में करीब 37 स्थलों से गुजरे थे। अब इन्ही स्थलों को विकसित किया जा रहा है। जिसमें 210 किलोमीटर का राम वन गमन पथ का निर्माण किया जाना है। इस पर करीब 4400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें तमसा नदी का क्षेत्र, शृगवेरपुर (सिंगरौर) जहां निषादराज का राज्य था। इसके अलावा प्रयागराज (Prayagraj), चित्रकूट (Chitrakoot) सहित दूसरे स्थलों को विकसित किया जा रहा है। प्रयागराज में वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप आदि भगवान राम से जुड़ी निशानियां हैं।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इन इलाकों निर्माण

चित्रकूट यानी आज के उत्तर प्रदेश से भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गए थे। ये इलाके आज के मध्य प्रदेश में स्थित हैं। 14 साल के वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में काफी समय बिताया था। इसके बाद वह आज के पन्ना, अमानगंज, कटनी, जबलपुर, मंडला, डिंडौरी, शहडोल होते हुए अमरकंटक गए थे। अब इन इलाकों को विकसित किया जा रहा है। इसके तहत पहले चरण के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट पारित हुआ है। जिसमें 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी। जबकि 40 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी।

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