क्या है संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव घोटाला? जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री शेखावत को घेर रहे हैं CM गहलोत
Sanjivani Credit Society Scam: राजस्थान में संजीवनी घोटाले का मामला इन दिनों फिर से सुर्खियों में आ गया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर हमलावर हैं।
अशोक गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत
Sanjivani Credit Society Scam: राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023)से पहले आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने संजीवनी घोटाले से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) का नाम जोड़ते हुए कहा कि गिरफ्तार अभियुक्तों के समान ही उनका जुर्म भी प्रमाणित हो चुका है। गहलोत ने शेखावत को चेलैंज करते हुए खहा कि यदि आप बेकसूर हैं तो गरीबों का पैसा दिलाने के लिए आगे क्यों नहीं आते? वहीं शेखावत ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि वो दोष सिद्ध कर पाएं तो जहां कहें वहां उपस्थित मिलूंगा। दरअसल चुनाव आते ही राजस्थान में बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में जोधपुर से अशोक गहलोत के बेटे ने चुनाव लड़ा था लेकिन गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें शिकस्त दे दी थी और शेखावत कह रहे हैं कि हार की खीझ का बदला लेने के लिए उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं।
क्या है संजीवनी घोटालाराजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत 2008 के तहत संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को रजिस्टर्ड कराया गया था। इसके बाद 2010 में ये सोसायटी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के रूप में बदल दिया गया जिसें लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया और बड़ी संख्या में निवेशक मिलना शुरू हो गए। सोसायटी के पहले प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह थे जिन्हें इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है और फिलहाल वो जेल में बंद हैं। 1 लाख से ज्यादा लोगों ने सोसायटी में करीब 900 करोड़ रुपये का निवेश किया लेकिन बाद में लोगों को पैसा लौटाया नहीं गया। आरोप है कि सोसायटी ने फर्जी तरीके से लोन बांटे और उन पर ब्याज तक नहीं लिया।
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इस तरह हुआ फर्जीवाड़ाइस सोसायटी ने बाड़मेर से अपनी शुरूआत की और गुजरात औऱ राजस्थान में महज 12 सालों के अंदर 230 से अधिक शाखाएं खोल दी। कंपनी ने फर्जी कंपनियां बनाई और उन्हें करोड़ों के लोन बांट दिए। इसके बाद कुछ निवेशकों द्वारा इस सोसायटी को लेकर शिकायत की गई जिसके बाद मामले को राजस्थान एसओजी को सौंप दिया गया। जांच के दौरान कई गिरफ्तारियां हुईं और मास्टरमाइंड भी गिरफ्तार किया गया। हजारों खाते जांच में फर्जी साबित हुए। आरोप है कि विक्रम सिंह ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसों को ऐसी कंपनी के शेयर खरीदने में लगाया जिसके शेयरहोल्डर गजेंद्र सिंह शेखावत भी हैं।
तेज हो सकती है तकरारआरोप लगा कि गजेंद्र सिंह और विक्रम सिंह के आपसी संबंध हैं हालांकि हाईकोर्ट ने शेखावत के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी थी। अब जब विधानसभा की तारीख नजदीक आ रही है और चर्चा ये है कि बीजेपी गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक अहम चेहरे के रूप में उतार सकती है, तो ऐसे में आरोप- प्रत्यारोप का यह सिलसिला और तेज हो गया है। वहीं गहलोत और शेखावत के आमने-सामने आ जाने से आने वाले दिनों में राजस्थान के सियासी पारे में उबाल आने की पूरी उम्मीद है।
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