Tiger Hills: कारगिल में सबसे बड़ी चुनौती का इस युद्ध नीति से सेना ने किया सामना, जानें क्या हुआ था

Tiger Hills In Kargil War: कारगिल युद्ध में सबसे बड़ी चुनौती टाइगर हिल्स को वापस पाने की थी। तिरंगा की आन बान शान को बरकरार रखने के लिए वीर सपूतों ने अपने जान की कुर्बानी देने से पहले उफ तक नहीं की। आपको उस युद्ध नीति के बारे में बताते हैं, जिसके जरिए कारगिल की सबसे बड़ी चुनौती टाइगर हिल्स पर जीत का परचम फराया गया।

कारगिल युद्ध में टाइगर हिल्स की लड़ाई की पूरी कहानी।

Tiger Hills Full Story: कारगिल की जंग टाइगर हिल्स सबसे अहम था। पाकिस्तान की फितरत है पीठ पर खंजर घोंपना.. ऐसी ही एक गुस्ताखी का नतीजा कारगिल युद्ध था। कारगिल की लड़ाई में भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान को धूल चटाई, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाया। मगर क्या आपको इस बात की जानकारी है कि कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों को सामने सबसे बड़ी और मुश्किल चुनौती क्या थी? दरअसल, कारगिल में सबसे ऊंची और अहम पहाड़ी टाइगर हिल्स थी, जिस पर युद्ध के वक्त दुश्मन कब्जा जमाए बैठा था।

क्यों कारगिल में सबसे बड़ी चुनौती थी टाइगर हिल्स?

टाइगर हिल्स पर कारगिल युद्ध के वक्त दुश्मन कब्जा जमाए बैठा था। इसमें पाकिस्तानी सैनिक और पाक समर्थित आतंकी शामिल थे। उस पहाड़ी से श्रीनगर-कारगिल-लेह मार्ग पर नजर दुश्मन नजर रख रहा था। ऐसे में भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसी टाइगर हिल्स को वापस हासिल करने की थी। इसमें कोई शक नहीं है कि कारगिल युद्ध में टाइगर हिल्स पर विजय हासिल करना ही सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। एक वक्त ऐसा आ गया था, जब तोतोलिंग और उसके आसपास की दूसरी पहाड़ियों से दुश्मनों को धकेल दिया गया था, लेकिन टाइगर हिल्स पर कब्जा जमा पाना असंभव सा लग रहा था। हालांकि देश के शूरवीरों ने हार नहीं मानी।

भारतीय सेना ने टाइगर हिल्स पर बनाई युद्ध नीति

टाइगर हिल्स पर वापस कब्जा जमाने के लिए भारतीय सेना ने योजना तैयार कर ली थी। जवानों ने ये ठान लिया था कि दुश्मनों के आगे घुटने नहीं टेकने हैं। युद्ध नीति तैयार करने से पहले भारतीय हवाई जहाजों ने दुश्मन की स्थिति का जायजा लिया। भारतीय सैनिकों ने ये अंदाजा लगा लिया था कि दुश्मनों कहां छिपे हैं। टाइगर हिल्स पर कब्जा करने की जिम्मेदारी 192 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर, ब्रिगेडियर एमपी एस बाजवान ने 18 ग्रेनेडियर्स और 8 सिख रेजीमेंट को सौंपी। भारतीय जवानों की टुकड़ियां मौके को भांपते हुए अलग-अलग दिशाओं से आगे बढ़ रही थी। 41 फील्ड रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर ने तोप के गोले दागने का प्लान बनाया।
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