क्या था अशोक साहू मर्डर केस, अतीक अहमद-अशरफ अहमद का जुड़ गया नाम

Ashok Sahu Murder Case: पुलिस के अधिकारी कहते हैं कि अगर 1996 में ही अशरफ के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हुई होती तो वो इतना बड़ा बदमाश नहीं बन पाता। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि 1996 में क्या कुछ हुआ था।

मुख्य बातें
  • 1996 में अशोक साहू की हुई थी हत्या
  • अशरफ की कार से टकराई थी कार
  • माफी मांगने के बाद भी मर्डर

Ashok Sahu Murder Case: 1996 से पहले अतीक अहमद का भाई अशरफ अपराध की दुनिया में जाना पहचाना नाम नहीं था। लेकिन 1996 में तत्कालीन इलाहाबाद के सिविल लाइंस इलाके में एक शख्स अशोक साहू की गाड़ी अशरफ की गाड़ी से टकराती है और दोनों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाती है। अशोक साहू की जिंदगी का द एंड होता है और पुलिस की डायरी में अशरफ सेक्शन 302 का मुल्जिम बनता है और उसके बाद अपराध की एक एक सीढ़ी चढ़ उत्तर प्रदेश का बड़ा माफिया बन जाता है। अतीक अहमद के साथ ही अशरफ भी जुर्म की दुनिया में तेजी से सीढ़ियां चढ़ने लगता है। जमीनों पर कब्जा, फिरौती, रंगदारी की दुनिया में वो बड़ा नाम हो गया। आगे चलकर उसने अतीक अहमद की ही तरह सियासत में भी एंट्री ली।

बताया जाता है कि सिविल लाइंस इलाके में अशोक साहू जो बड़े व्यापारी थे उनकी कार उस कार से टकराती है जिसमें अशरफ सवार था। सड़क पर ही कहासुनी के साथ बात खत्म हो गई। लेकिन अगले दिन जब अशोक साहू को पता चलता है कि जिस शख्स के कार से कार टकराई थी उसमे अतीक का भाई अशरफ बैठा था। यह जानकर अतीक अहमद से मिलने के लिए अशोक साहू जाते हैं। अतीक अहमद से गलती के लिए माफी भी मांगते हैं। अतीक कहता है कि जाइए आपने जो किया ठीक नहीं था। अशोक साहू बार बार माफी मांगते हैं। लेकिन अतीक एक ही बात कहता है। अशोक साहू एक बार फिर माफी मांग कर अपने घर के लिए निकल पड़ते हैं लेकिन उनकी हत्या हो जाती है।

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ललित राय author

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