भारत में तुर्किए जैसा भूकंप आया तो क्या होगा? जानिए कितना तैयार हैं हम, कैसे तबाह हो गया तुर्किए

तुर्किए में भूकंप से 41 हजार से ज्यादा मौतें हुई है, सीरिया में भी 6 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। मंगलवार को एक बार फिर से तुर्किए में भूकंप आया। इस बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 आंकी गई। इसको देखते हुए हिमालयन क्षेत्र में 80 सिस्मिक स्टेशन (भूकंप सूचक स्टेशन) स्थापित किए हैं, ये स्टेशन उत्तराखंड की हलचल पर नजर रखे हुए हैं।

तुर्किए और सीरिया में भूकंप का खतरा लगातार बना हुआ है। 6 फरवरी को विनाशकारी भूकंप आया था जिस से अब तक तुर्किए में 41 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सीरिया में भी 6 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। मंगलवार को एक बार फिर से तुर्किए में भूकंप आया। इस बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.3 आंकी गई। इस भूकंप से तुर्किए में अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है। इस भूकंप का केंद्र तुर्किए का अंताक्या शहर था। ये शहर 6 फरवरी के भूकंप में पूरी तरह से तबाह हो चुका है। तुर्किए में भूकंप से 41 हजार से ज्यादा मौतें हुई है, ये आंकड़ा इतना बड़ा है कि डेड बॉडीज़ को सामूहिक तौर पर दफनाया जा रहा है। तुर्किए के अंताक्या में Mass Grave बनाई गई है, जहां पर भूकंप में जान गंवाने वाले लोगों को दफन किया जा रहा है।

संबंधित खबरें

उधर हिमालयन क्षेत्र में 80 सिस्मिक स्टेशन (भूकंप सूचक स्टेशन) स्थापित किए हैं, ये स्टेशन उत्तराखंड की हलचल पर नजर रखे हुए हैं। उत्तराखंड में काफी समय से स्ट्रेस जमा हो रहा है। हमारे जीपीएस नेटवर्क से जमीन के अंदर होने वाले बदलावों का पता चल रहा है। इसके साथ ही NGRI ने कहा कि भारत सरकार ने भूकंप संभावित क्षेत्रों के लिए गाइडलाइन जारी की हुई हैं, और गाइडलाइन के मुताबिक ही इमारतों को बनाया जाना चाहिए। भूकंप को रोका नहीं जा सकता है लेकिन भूकंप से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

संबंधित खबरें

भूकंप से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है। जिस से भूकंप आने से पहले ही अलर्ट मिल जाए। उत्तराखंड में Early Warning System लगाया गया है। ये सिस्टम भूकंप आने से पहले ही संकेत दे देता है। ये कैसे काम करता है आपको बताता हूं। भूकंप संभावित इलाकों में 200 सेंसर लगाए गए हैं, इनसे सिस्मिक डेटा कलेक्ट किया जाएगा। ये सेंसर्स IIT रुड़की कंट्रोल रूम को सिग्नल भेजेंगे। जहां एक एल्गोरिदम इन सिग्नल का विश्लेषण करेगा कि सिस्मिक वेव्स कितनी दूर जाएंगी, ,कौन से इलाकों पर असर होगा। अगर भूकंप 5.5 तीव्रता से ज्यादा का है तो लोगों को अलर्ट भेजा जाएगा। Early Warning System को भूकंप एप से कनेक्ट किया गया है जो भूकंप आने से 15 सेकेंड पहले अलर्ट भेजता है। तुर्किए में जो भूकंप आया उस ने लोगों को बचने के लिए एक सेकेंड का भी समय नहीं दिया। ऐसे में अगर 15 सेकेंड पहले भूकंप की वॉर्निंग मिल जाए तो उस में बहुत कुछ हो सकता है।

संबंधित खबरें
End Of Feed