जीवन में जो भी बनें, मातृभूमि, मातृभाषा, मां को कभी न भूलें, छात्रों से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की भावुक अपील

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) उत्तराखंड के देहरादून में दून यूनिवर्सिटी में छात्रों से भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि आप जीवन किसी भी पद तक पहुंचे। ऑफिसर, इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस, आईपीएस या और कुछ बन जाएं लेकिन आप को अपनी जमीन कभी नहीं भूलनी चाहिए।

दून यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

उत्तराखंड के देहरादून में दून यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने इमोशनल भाषण दिया। उन्होंने मातृभूमि, मातृभाषा और मां की महत्ता को बताया। साथ ही उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें, भले ही वे आगे के जीवन में किसी भी पद पर हों। उन्होंने अपने स्पीच कहा कि मैं आज खुश हूं, जब मैं छोटी हमको मातृभूमि, मातृभाषा और मां के बारे में पढ़ाया जाता है। इसलिए सदा सर्वदा मातृभूमि, मातृभाषा, मां का बड़ा महत्व है। जिसके पास ममता नहीं, उसको हम ज्ञानी कहेंगे तो अज्ञानी किसको कहेंगे।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इसलिए आज मैं खुश हूं आपने किताबी भाषा के साथ-साथ यहां के लोकल भाषा को भी यहां सिखाया जाता है। कहा जाता है मां जैसी भी हो, दूसरे की दृष्टि में मां गरीब हो, देखने में जैसी भी हो मां, मां होती है। मातृभाषा लोगों के नजरों में कैसी भी हो मातृभाषा अपनी होती है। दुनिया की जितनी भी भाषा है। सीखने में कोई भी बाधा नहीं है। लेकिन अपनी भाषा, अपने घरों में, अपने समाज में यूज करना, हम लोगों का कर्तव्य होता है। नहीं हम लोगों की पहचान खो जाएगी। इसलिए मातृभाषा में बोलना और मातृभूमि को श्रद्धा करना, मातृभूमि के लिए जिंदगी तक देना, मातृभाषा और मां को प्यार करना हमलोगों का कर्तव्य है। इसी से हमलोगों की पहचान और अस्मिता रहती है।

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