जब हुआ था भारत के संसद पर हमला, चुन-चुन कर मारे गए थे आतंकी; सीने पर गोली खा सांसदों को बचा ले गए थे सुरक्षाकर्मी

Parliament Attack: दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर गिलानी को 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने "साक्ष्य की आवश्यकता" के कारण बरी कर दिया था, जिसे 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। अफसान गुरु को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया और हुसैन को जेल की सजा काटनी पड़ी। अफजल गुरु को 2013 में फांसी दे दी गई थी।

parliament attack

13 दिसंबर 2001 को हुआ था संसद पर हमला

Parliament Attack: 13 दिसंबर, 2001, यही वो दिन था, जब आतंकियों भारत के लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हमला बोला था। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने आज ही के दिन भारतीय संसद पर हमला किया गया था। इस हमले को सुरक्षाबलों से असफल कर दिया था। सभी पांचों आतंकवादी मारे गए थे और पांच दिल्ली पुलिस कर्मियों सहित चौदह अन्य लोगों की जान चली गई थी। हमले के वक्त इमारत में करीब 100 सांसद मौजूद थे, हालांकि किसी को चोट नहीं आई।

ये भी पढ़ें- क्या है तहरीक-ए-जिहाद, जिसे कहा जा रहा पाकिस्तानी सेना के लिए सबसे बड़ा खतरा, एक के बाद एक दे रहा हमले को अंजाम

क्या बोले थे तब के गृह मंत्री

तब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, जो उस समय गृह मंत्री थे, ने हमले को "सबसे दुस्साहसी और सबसे खतरनाक आतंकवादी कृत्य" कहा था। हमले के समय लोकसभा सत्र चल रहा था। हमले की खबर होते ही सदन स्थगित कर दिया गया था, लेकिन तब भी संसद के अंदर दर्जनों सांसद और कर्मचारी मौजूद थे।

एंबेसेडर कार में आए थे आतंकी

हमलावर एंबेसेडर कार में आए थे और जाली सरकारी स्टीकर की वजह से अंदर घुसने में कामयाब हो गए। लेकिन जैसे ही कार संसद परिसर के अंदर चली गई, स्टाफ के एक सदस्य को संदेह हुआ। जिसके बाद आतंकियों के वाहन को वापस मुड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और इस दौरान तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्ण कांत के वाहन से टकरा गया।

30 मिनट तक चली थी गोलीबारी

इसके बाद एके-47 और ग्रेनेड से लैस बंदूकधारी नीचे उतरे और गोलीबारी शुरू कर दी। हमला करीब 30 मिनट तक चला और पांचों आतंकियों को इमारत के बाहर ही ढेर कर दिया गया। हालांकि, संसद भवन में आतंकवादियों के प्रवेश को रोकने में दिल्ली पुलिस के पांच सुरक्षाकर्मी, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और पार्लियामेंट वॉच एंड वार्ड अनुभाग के दो सुरक्षा सहायक शहीद हो गए। एक माली और एक फोटो जर्नलिस्ट की भी जान चली गई थी।

मास्टरमाइंड को फांसी की सजा

कुछ ही दिनों में, चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर हमले के मास्टरमाइंड के रूप में आरोप लगाए गए। चारों - मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफसान गुरु और एसएआर गिलानी के खिलाफ मामला लगभग एक दशक तक चला, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने अंततः दो को बरी कर दिया और एक की मौत की सजा बरकरार रखी। दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर गिलानी को 2003 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने "साक्ष्य की आवश्यकता" के कारण बरी कर दिया था, जिसे 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। अफसान गुरु को भी आरोपों से मुक्त कर दिया गया और हुसैन को जेल की सजा काटनी पड़ी। अफजल गुरु को 2013 में फांसी दे दी गई थी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited