ऐतिहासिक कार्यक्रमों से दूरी बनाने की कांग्रेस की लंबी है परंपरा, समारोहों से इन मौकों पर बनाई दूरी
Ram Mandir Pran Pratishtha: गुजरात के कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा है कि पार्टी को ऐसा निर्णय नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
22 जनवरी को होनी है राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा।
Ram Mandir Pran Pratishtha: कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शरीक नहीं होगी। उसने कहा है कि यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यक्रम है, इसलिए वह इस कार्यक्रम से दूरी बना रही है। हालांकि उसके इस फैसले की कांग्रेस में ही आलोचना हो रही है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। गुजरात के कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा है कि पार्टी को ऐसा निर्णय नहीं लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
यहां एक बात और है कि जब जब देश में नया काम या कोई ऐतिहासिक काम हुआ है, हाल फिलहाल के सालों ने कांग्रेस ने उसका बायकॉट ही किया है। जैसे
- 28 मई 2023 को देश की नई संसद का उद्घाटन हुआ था
- कांग्रेस ने संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया
- 2017 में संसद के मिडनाइट सेशन के दौरान देश में GST लागू हुआ
- कांग्रेस ने इस सत्र का भी बहिष्कार किया था
- G20 के मौके पर राष्ट्रपति के स्टेट डिनर का आयोजन किया
- कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने इस का बहिष्कार किया था
- 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद के भाषण का बहिष्कार किया
- 2019 में प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न मिला था
- सोनिया और राहुल गांधी कार्यक्रम में नहीं गए
- 2004 से 2009 तक यूपीए की सरकार थी तो करगिल विजय दिवस नहीं मनाया गया
सिब्बल ने राम मंदिर की सुनवाई टालने की अपील की
भगवान राम को लेकर कांग्रेस की मानसिकता कई बार सामने आई है, कांग्रेस के नेताओं ने भगवान राम और राममंदिर को लेकर कई अपनी सोच जाहिर की है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट में पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने राममंदिर मामले की सुनवाई को 2019 के लोकसभा चुनावों तक टालने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने हलफनामा दायर कर भगवान राम को काल्पनिक पात्र बताया था।
ताला खुलवाना हमारी गलती
सिब्बल का कहना था कि राममंदिर का मामला राजनीतिक हो चुका है। जनवरी 2019 में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर भी कह चुके हैं कि दशरथ के महल में 10,000 कमरे थे लेकिन किस कमरे में भगवान राम पैदा हुए थे, ये कैसे कहा जा सकता है। 2022 में एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि 1986 में अयोध्या के ताले खुलवाना हमारी गलती थी। जब श्रीराम को लेकर कांग्रेस के मन में ऐसी सोच रही है, तो उसके नेता भव्य राम मंदिर के प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम में कैसे जा सकते हैं।
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