जब के सिवन को ISRO ने नौकरी देने से कर दिया था इनकार, सुनाया दिलचस्प किस्सा
के सिवन ने बताया कि कैसे उन्हें इसरो के उपग्रह केंद्र में नौकरी नहीं मिल सकी और उन्हें वहां से चले जाने को कहा गया था। उन्होंने ये पूरा किस्सा सुनाया।
पूर्व इसरो चीफ के सिवन
K Sivan: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने छात्रों को जीवन में अपनी असफलताओं से सीखने और जोखिम लेने की अपील की। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 की विफलता के एक दिन बाद चंद्रयान-3 की योजना बनाई गई थी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) गोवा के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सिवन ने कहा, जब आप चंद्रयान-2 की विफलता देखते हैं, तो हम चुप नहीं रहे। हमने अगले दिन ही चंद्रयान-3 की योजना बनाई। अगले दिन मुझे इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने के लिए प्रधानमंत्री से मंजूरी मिल गई।
पता होना चाहिए कि विफलता से कैसे सीखना है
उन्होंने कहा, हमें पता चला कि चंद्रयान-2 में क्या गलत हुआ...हम उस पल दुखी हुए, लेकिन अगले ही पल आपको उठना होगा...और अब आप चंद्रयान-3 की सफलता देख सकते हैं। तो यह एक बड़ा सबक है जो हमने सीखा। सिवन ने कहा, आपको पता होना चाहिए कि विफलता से कैसे सीखना है और विफलता पर कैसे विजय पाना है।
इसरो उपग्रह केंद्र में नहीं मिली नौकरी
इस दौरान सिवन ने बताया कि कैसे उन्हें इसरो के उपग्रह केंद्र में नौकरी नहीं मिल सकी और उन्हें वहां से चले जाने को कहा गया था। उन्होंने किस्सा सुनाया- बीई के बाद मैंने सोचा था कि मैं नौकरी करूंगा, लेकिन नौकरी पाना आसान नहीं था। मुझे मास्टर्स करने का मन था और मास्टर्स करने के बाद मैं नौकरी के लिए इसरो के सैटेलाइट सेंटर में गया। उन्होंने कहा कि तुम किसी काम के नहीं, तुम्हें नौकरी नहीं मिल सकती, चले जाओ। आखिरकार, मैं बाद में उसी संगठन का अध्यक्ष बन गया। मुझे सैटेलाइट सेंटर में तो नौकरी नहीं मिली, लेकिन रॉकेट सेंटर में नौकरी मिल गई।
जो चाहता था, वह कभी नहीं मिला
उन्होंने कहा, अपने करियर में मुझे वह कभी नहीं मिला जो मैं चाहता था। प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स पूरा करने के बाद, मैं बीई इंजीनियरिंग करना चाहता था, लेकिन मेरे पिता ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके पास मुझे भेजने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने मुझसे बीएससी करने के लिए कहा। बीएससी के बाद मैं एमएससी करना चाहता था, लेकिन मेरे पिता ने फिर मना कर दिया। उन्होंने कहा कि अब तुम जो चाहो फैसला कर लो या फिर वापस बीई कर लो।
विफल प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बनाया गया
सिवन ने कहा कि जीएसएलवी के परियोजना निदेशक के रूप में उनकी सफलता और वहां एक लीडर के रूप में उनके द्वारा उठाए गए जोखिमों ने उन्हें इसरो समुदाय की नजरों में ला दिया। जीएसएलवी लगातार विफल हो रहा था। उन्होंने मुझे चार बार असफल हुए परियोजना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया। मेरे सभी दोस्त और वरिष्ठ मुझे बधाई देने के बजाय फोन कर मुझे सांत्वना दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आप इसे स्वीकार करके मूर्ख नंबर एक बन गए हैं, लेकिन मैंने उस परियोजना को सफल बनाया।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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