'गुस्सैल मिजाज' वाली इंदिरा गांधी ने तब US राष्ट्रपति के साथ थिरकने के लिए कर दी थी न, कहा था- मेरे...

रोचक बात है कि इंदिरा जीवन के अंतिम चरण में आने पर धार्मिक रंग में रंगी नजर आईं। 1977 में हार के बाद वह यूपी के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर (भगवान शिव का मंदिर) और संकट मोचन मंदिर (भगवान हनुमान का मंदिर) में पूजा करने पहुंची थीं।

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (पूरा नाम- इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी) जितना अपनी सियासी दांव-पेंचों और नेतृत्व कौशल के लिए जानी जाती हैं, उतने ही चर्चे उनके गुस्से के भी होते रहते हैं। भेंट में उन्हें बुक देने पहुंचे लेखक डॉम मोरेस को तब उन्होंने बुरी तरह झाड़ दिया था। कहा था कि वह कूड़ा-करकट नहीं पढ़ती हैं। ऐसे में वह पुस्तक को वापस ले जाएं।

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'बीबीसी हिंदी' ने प्रकाशक अशोक चोपड़ा के हवाले से बताया कि मोरेस उन्हें 'मिसेज़ जी' नाम की जीवनी देने पहुंचे थे, जो उन्हें रास न आई थी। इंदिरा ने उन्हें पहले तो वहां कुछ देर इंतजार कराया। फिर जब मुलाकात की बारी आई और उन्होंने किताब दी तो वह कड़क लहजे में बोलीं- किताब...कैसी किताब? मैं कूड़ा-करकट नहीं पढ़ती हूं। आप इसे वापस ले जाइए।

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