जब खुली जीप में हथियार के साथ सड़कों पर निकला था मुख्तार, लोग आज भी याद करते हैं वह मंजर

Mukhtar Ansari Death: गाजीपुर, मऊ और आसपास के इलाकों में मुख्तार अंसारी की दहशत इतनी थी कि कोई डर के मारे इनके खिलाफ मुंह नहीं खोलता था और जो खोलता भी था उन्हें डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता था। राजनीतिक प्रश्रय की वजह से मुख्तार में कानून का खौफ समाप्त हो गया था।

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बांदा जेल में मुख्तार अंसारी को पड़ा दिल का दौरा।

Mukhtar Ansari Death: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है लेकिन उसके दहशत और अपराध के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर हैं। मुख्तार और अतीक जैसे माफियाओं के चलते ही पूर्वांचल की राजनीति का अपराधीकरण हुआ। राजनीति में इन माफियाओं के कदम रखने से कई दशकों तक पूर्वांचल की पूरी राजनीति ही बदल गई। राजनीति में इन माफियाओं का दखल धीरे-धीरे इतना बढ़ता गया कि प्रशासन और पुलिस को इनके और इनके गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं होता था। मुख्तार की मौत के बाद सियासत और अपराध के गठजोड़ के एक अध्याय का अब अंत हो गया है।

डर के मारे अंसारी के खिलाफ कोई मुंह नहीं खोलता था

गाजीपुर, मऊ और आसपास के इलाकों में मुख्तार अंसारी की दहशत इतनी थी कि कोई डर के मारे इनके खिलाफ मुंह नहीं खोलता था और जो खोलता भी था उन्हें डरा-धमकाकर चुप करा दिया जाता था। राजनीतिक प्रश्रय की वजह से मुख्तार में कानून का खौफ समाप्त हो गया था। उसके हौसले बुलंद हो गए थे। 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या की हत्या की साजिश में वह शामिल था। एक मौजूदा विधायक की हत्या कराने से भी नहीं वह हिचका। भाजपा विधायक की जिस जगह हत्या हुई वहां से करीब 500 कारतूस मिले। भाजपा विधायक के काफिले पर एलएमजी से फायरिंग हुई थी और उनके साथ छह लोग मारे गए।

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तीन बार जेल से चुनाव जीता

मुख्तार और उसके गैंग की दहशत इतनी थी कि छोटे-मोटे अपराधों में कोई उसके खिलाफ गवाही नहीं देता था। ऐसे कई सारे मामले हुए जिनमें दबाव एवं डर की वजह से गवाह अपने बयान से पलट गए। यह तो कृष्णानंद राय की हाई प्रोफाइल हत्या थी जिसकी वजह से उसे जेल जाना पड़ा। मुख्तार का आपराधिक नेटवर्क एवं गैंग किस कदर प्रभावी था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह तीन बार जेल से चुनाव जीता। उसका एक बेटा आज भी विधायक है और भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद।

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2005 में मऊ में हुआ था दंगा

साल 2005 में मऊ शहर के शाही कटरा मैदान में भरत मिलाप आयोजन को लेकर दंगा भड़क गया था। शहर का माहौल बिगड़ गया। दोन समुदाय के लोग हिंसा पर उतारू हो गए। दुकानों को लूटा गया और उनमें आग लगा दी गई। इसी दौरान मुख्तार ने जीप की छत पर बैठकर शहर का दौरा किया। मुख्तार के बगल में रखी एक राइफल की तस्वीर भी अगले दिन मीडिया में आई। इस तस्वीर ने काफी सुर्खियां बटोरीं। मुख्तार का यह दौरा उसके रसूख और जरायम की दुनिया में उसकी बोलती तूती को दर्शाया। खास बात यह है कि इस घटना के समय यूपी में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव सीएम थे। लोगों को आज भी यह घटना याद है।

मुख्तार के खिलाफ 65 मामले दर्ज थे हो चुके थे

अंसारी की मृत्यु के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के एक अध्याय का अंत हो गया। अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह विभिन्न राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया। साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया। साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अंसारी खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था।

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आलोक कुमार राव author

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