तो देश को PM के रूप में नहीं मिले होते मोदी, स्वामी की बात मानकर त्याग दी संन्यासी बनने की इच्छा

Narendra Modi News : कुछ दिनों बाद उन्होंने संन्यासी बनने की अपनी इच्छा से स्वामी आत्मास्थानंद को अवगत कराया। आत्मास्थानंद ने मोदी की बात सुनकर कहा कि संन्यास उनके लिए उचित नहीं है बल्कि उन्हें लोगों के बीच रहकर उनकी सेवा करनी चाहिए।

1966 में संन्यास लेना चाहते थे नरेंद्र मोदी।

Narendra Modi News : नरेंद्र मोदी आज प्रधनमंत्री नहीं होते यदि वह साल 1966 में संन्यासी बन गए होते। लेकिन उन्हें संन्यास लेने से स्वामी आत्मास्थानंद ने रोका और लोगों के बीच में रहकर उन्हें सेवा करने के लिए प्रेरित किया। दरअसल, स्वामी आत्मास्थानंद साल 1966 में रामकृष्ण मिशन के प्रमुख का कार्यभार संभालने लिए गुजरात के वडोदरा पहुंचे थे। युवा नरेंद्र मोदी पर स्वामी विवेकानंद का बहुत प्रभाव था। इसी प्रभाव में वह भी संन्यासी बनना चाहते थे। मोदी कुछ दिनों तक आश्रम में रहे।

स्वामी ने मोदी को संन्यास लेने से रोका

कुछ दिनों बाद उन्होंने संन्यासी बनने की अपनी इच्छा से स्वामी आत्मास्थानंद को अवगत कराया। आत्मास्थानंद ने मोदी की बात सुनकर कहा कि संन्यास उनके लिए उचित नहीं है बल्कि उन्हें लोगों के बीच रहकर उनकी सेवा करनी चाहिए। स्वामी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी संन्यासी बनने के लिए नहीं हैं।

2013 में बेलुर मठ गए थे मोदी

साल 2013 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बेलुर मठ का दौरा किया। अपनी इस यात्रा के दौरान ने उन्होंने कहा, 'अपनी किशोरावस्था के समय स्वामी आत्मास्थानंद जी के सान्निध्य में मुझे कुछ समय गुजारने का सौभाग्य मिला था। उस दौरान उन्होंने मुझे बहुत स्नेह दिया। मुझे स्वामी का हमेशा साथ मिला और जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों पर उन्हें मेरा मार्गदर्शन किया।' जून 2017 में स्वामी का निधन हो गया। स्वामी ने ही मोदी को राजनीति में कदम रखने की सलाह दी।

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