Times Now Summit 2024 : जब राजनाथ सिंह ने समझाया राजनीति का मतलब, बोले-घर की बॉस मेरी पत्नी हैं

Times Now Summit 2024 : टाइम्स नाउ एवं टाइम्स नाउ नवभारत की ग्रुप एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ खास बातचीत में रक्षा मंत्री सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति में बदलाव बहुत हद तक नेतृत्व पर निर्भर करता है।

Rajnath Singh

टाइम्स नाउ समिट 2024 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।

Times Now Summit 2024 : राजनीति में बदलाव बहुत हद तक नेतृत्व पर निर्भर करता है लेकिन राजनीति के कुछ मूल्य होते हैं। उन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। राजनीति दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। राज और नीति इसका मतलब होता समाज को सन्मार्ग की तरफ ले जाना। ये बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टाइम्स नाउ समिट 2024 के दूसरे दिन कहीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में राजनीति अपना अर्थ और भाव दोनों खो चुका है। भाजपा नेता ने परिवारवाद पर भी बेबाकी से बात की। अपने परिवार का जिक्र करते हुए उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि 'घर की बॉस मेरी पत्नी हैं।'

नेतृत्व पर निर्भर करता है राजनीति में बदलाव

टाइम्स नाउ एवं टाइम्स नाउ नवभारत की ग्रुप एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ खास बातचीत में रक्षा मंत्री सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि राजनीति में बदलाव बहुत हद तक नेतृत्व पर निर्भर करता है लेकिन राजनीति के कुछ मूल्य होते हैं। उन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। राजनीति में उस समय भी लोग थे आज भी हैं। उस समय भी राजनीति में लोग मूल्यों से समझौता करते थे। राम राज्य में भी ऐसे लोग थे।

हम अपने घोषणापत्र का अक्षरश: पालन करते हैं-रक्षा मंत्री

नाविका कुमार के इस सवाल पर राजनीति में ऐसे कौन से मूल्य हैं जिन पर किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए? रक्षा मंत्री ने कहा कि राजनीति में विश्वसनीयता बहुत बड़ी चीज होती है। इस विश्वसनीयता पर किसी तरह का प्रश्नचिह्न नहीं लगना चाहिए। जो कहे वह करे। भाजपा में हम अपने घोषणापत्र में जो कहते हैं, उसका अक्षरश: पालन करते हैं। मुझे याद है कि 2014 में मैं पार्टी अध्यक्ष था। उस समय नरेंद्र मोदी कहते थे कि राजनाथ जी यह देखिएगा कि अपने घोषणापत्र में ऐसा कुछ न हो जिन्हें हम पूरा न कर पाएं। 2019 में भी उन्होंने घोषणापत्र की जिम्मेदारी मुझे दी थी।

'आज जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है कि वह बोल क्या रहा है'

रक्षा मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370, सीएए, राम मंदिर, तीन तलाक के वादे हमने पूरे किए। हमने देश का आगे ले जाने के अपने वादे को भी पूरा किया। इस सच्चाई को कोई नकार नहीं सकता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत का कद बढ़ा है। पहले अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का कोई बोलता था तो अंतरराष्ट्रीय शिष्टमंडल के लोग उतनी गंभीरता से नहीं सुनते हैं जिस तरह से अब सुनते हैं। अब जब भारत बोलता है तो लोग गंभीरता से सुनते हैं कि भारत बोल क्या रहा है। आज यह भारत की हैसियत है।

राजनीति संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है-राजनाथ

सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कटुता के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि राजनीति में मर्यादा का पालन होना चाहिए। मर्यादाविहीन राजनीति का कोई औचित्य नहीं है। राजनीति दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। राज और नीति। नीति शब्द संस्कृत के नय धातु से बना है जिसका अर्थ होता ले जाना। ऐसी व्यवस्था जो समाज को सन्मार्ग के रास्ते पर ले जाए, उसे ही हम राजनीति कहते हैं लेकिन यह विंडबना है कि राजनीति शब्द आज अपना अर्थ और भाव खो चुका है। भाजपा की कोशिश राजनीति के इस अर्थ और भाव को दोबारा स्थापित करने की है।

2007 में बेटे को टिकट देने से मना किया

परिवारवाद पर नाविका कुमार के सवाल पर कि विपक्ष कई बार आपके बेटे पंकज सिंह पर कटाक्ष करता है। आपने अध्यक्ष होते हुए उनका टिकट काटा। पत्नी के सामने कैसे गए, बेटे को कैसे समझाया? इस सवाल राजनाथ सिंह ने कहा, 'देखिए पुत्र, पुत्र होता है। सभी को अपने पुत्र के प्रति ममता होती है। मेरी भी अपने पुत्रों के प्रति ममता और प्यार है। राजनाथ ने कहा कि 2007 में भी वह भाजपा अध्यक्ष थे। चुनाव समिति की बैठक में अटल जी, आडवाणी जी सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। इस बैठक में मेरे बेटे पंकज को वाराणसी की किसी सीट से एमएलए का टिकट देने की बात कही गई लेकिन मैंने इसका विरोध किया। मेरे विरोध के बावजूद पार्टी ने पंकज को टिकट देने का फैसला किया। मैं बुझे मन से घर लौटा तो बेटे ने पैर छूआ लेकिन मैंने आशीर्वाद नहीं दिया। पंकज अपनी मां के पास गया और बताया कि पिता जी ने आशीर्वाद नहीं दिया। इस पर पत्नी मेरे पास आईं और पूछा कि आपने आशीर्वाद नहीं दिया। मैंने कहा कि पार्टी का अध्यक्ष रहते हुए मैं अपनी कलम से अपने बेटे को टिकट नहीं दे सकता। घर में पत्नी ही बॉस हैं। पंकज ने भी संयम दिखाया। वह दोबारा मेरे पास आया और बोला कि पापा में चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैंने उनसे कहा कि अटल जी के पास जाओ और उन्हें अपने फैसले के बारे में बताओ।'
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