काला ग्रेनाइट, 2.5 अरब वर्ष पुराना और भविष्य में हजारों साल तक सुरक्षित- जिस चट्टान से बनी है रामलला की मूर्ति, उस पर पानी का भी नहीं होता असर
Ram Lala Murti: केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण पारंपरिक वास्तुशिल्प डिजाइन और उच्चतम गुणवत्ता वाले पत्थरों का उपयोग करके किया गया है, फिर भी इसे टिकाऊ बनाने के लिए इसमें आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग तकनीकों को शामिल किया गया है।
राम लला की मूर्ति
Ram Lala Murti: अयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। श्रद्धालु अपने अराध्य का दर्शन करने लगे हैं। भगवान राम की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, उसमें विशेषताएं ही विशेषताएं हैं। 51 इंच की मूर्ति बनाने के लिए जिस पत्थर का इस्तेमाल किया गया है वह विशेष प्रकार का काला ग्रेनाइट है, जिसे कर्नाटक से लाया गया था। यह चट्टान 2.5 अरब साल पुरानी है।
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हजारों साल तक सुरक्षित
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार जिस चट्टान में से यह मूर्ति तराशी गई है वो काफी टिकाऊ है, जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी है। किसी भी मौसम का इसपर कोई असर नहीं होता है। करीब 2.5 अरब वर्ष पुरानी चट्टान से बनी यह मूर्ति कम से कम देखभाल में भी भारत के वातावरण में हजारों साल तक सुरक्षित रहने में सक्षम है। बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (एनआईआरएम) निदेशक एचएस वेंकटेश ने यह जानकारी दी है।
मूर्ति की खासयित
इस चट्टान से बनी मूर्ति की कई खासियतें हैं। यह मूर्ति न तो पानी जो सोखती है और न ही कार्बन का इस पर कोई असर होता है। यानि कि पूजा के दौरान उपयोग होने वाले जल, चंदन, हवन का इस मूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह मूर्ति चमकदार बनी रहेगी।
कब और कैसे बनीं ये चट्टानें
अधिकांश ग्रेनाइट चट्टानें तब बनीं जब पृथ्वी के निर्माण के बाद पिघला हुआ लावा ठंडा हो हुआ। ग्रेनाइट एक अत्यंत कठोर पदार्थ है। यह चट्टान प्री-कैम्ब्रियन युग की है, जिसकी शुरुआत लगभग चार अरब से अधिक वर्ष पहले हुई मानी जाती है। अनुमान है कि पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुई थी। जिस काली ग्रेनाइट चट्टान से रामलला की मूर्ति बनाई गई है, उसने पृथ्वी के इतिहास का कम से कम आधा या अधिक हिस्सा देखा है।
इस तकनीक का इस्तेमाल
वहीं केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण पारंपरिक वास्तुशिल्प डिजाइन और उच्चतम गुणवत्ता वाले पत्थरों का उपयोग करके किया गया है, फिर भी इसे टिकाऊ बनाने के लिए इसमें आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग तकनीकों को शामिल किया गया है। उन्होंने आगे कहा- "इसे 1,000 से अधिक वर्षों तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।"
अरुण योगीराज ने तराशा
ग्रेनाइट की पत्थर से इस मूर्ति को तराशने का काम मैसूरु के 38 वर्षीय मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है। इनका परिवार पिछले पांच पीढ़ियों से मूर्ति तराशने का काम कर रहा है। राम लला की मूर्ति तैयार करने में उन्हें लगभग छह महीने लगे।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें
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