कौन हैं ये भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी? जिन्हें कतर में सुनाई गई मौत की सजा

भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई। भारत ने कहा कि वह इस फैसले से बेहद स्तब्ध है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।

भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को कतर मेंं मिली मौत की सजा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कतर की एक अदालत ने गुरुवार (26 अक्टूबर 2023) को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को ऐसे आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई। जो सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि हम हैरान है और कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारे पास प्रारंभिक जानकारी है कि कतर की अदालत ने आज अल दहरा कंपनी के 8 भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और फैसले के डिटेल का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं। ये सभी आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में लिया गया था।

नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों के मुकदमे की पहली सुनवाई 29 मार्च को हुई थी। जैसे ही नौसेना के दिग्गजों के खिलाफ आरोपों के बारे में अटकलें तेज हुईं। पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि उन्हें कतर के अधिकारियों ने औपचारिक आरोपों के बारे में सूचित नहीं किया गया। जिसके तहत मुकदमा चलाया गया।

कौन हैं ये 8 पूर्व नौसेना अधिकारी?

नौसेना के पूर्व आठ दिग्गज - कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश हैं। ये सभी डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में काम कर रहे थे। ओमानी नागरिक इस कंपनी के मालिक हैं। वह रॉयल ओमानी वायु सेना के रिटायर स्क्वाड्रन लीडर हैं। वह भी इन भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी के साथ गिरफ्तार हुए थे लेकिन नवंबर में रिहा कर दिया गया। मैनेजिंग डायरेक्टर कमांडर पूर्णेंदु तिवारी (रिटायर) को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला। वह सशस्त्र बलों से यह पुरस्कार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं।

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