चाचा-भतीजा रिश्ते पर भारी राजसत्ता,कौन हैं अजित पवार जिन्होंने 'राजयोग' के लिए की बगावत

Ajit Pawar Latest News: सियासत में रिश्ते से कहीं अधिक गद्दी का महत्व होता है। अगर ऐसा ना होता तो शरद पवार के भतीजे अजित पवार अपने चाचा के खिलाफ नहीं जाते। आखिर अजित पवार के पास क्या इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था। इसे समझने से पहले पवार परिवार को समझना जरूरी है।

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अजित पवार ने एनसीपी से की बगावत, शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम

Ajit Pawar Latest News: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उलटफेर हुआ है। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार(Sharad Pawar) की पार्टी टूट चुकी है। उनके अपने भतीजे अजित पवार ने बड़ा झटका दे दिया। एक बार फिर वो महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम बन चुके हैं। यह बात अलग है कि सरकार के मुखिया ना तो देवेंद्र फडणवीस और ना ही उद्धव ठाकरे हैं। सीएम एकनाथ शिंदे(Eknath Shinde) के वो नायब बन चुके हैं। अजित पवार इधर कई महीनों से संकेत दे रहे थे कि उनका रास्ता अलग हो सकता है। लेकिन जब शरद पवार ने संन्यास का ऐलान किया और उसके बाद अजित पवार की प्रतिक्रिया पार्टी के दूसरे नेताओं को नागवार गुजरी। उसके बाद करीब करीब यह तय हो गया कि एनसीपी में उनका बना रहना सिर्फ समय की बात है। शरद पवार ने एनसीपी (NCP) को जब पुनर्गठित करने के क्रम में बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को तवज्जो दी तो तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई कि बगावत की तारीख अब तय हो चुकी है। 2 जुलाई का दिन गवाह बना जब वो शिंदे सरकार का हिस्सा बन गए। इन सबके बीच बताएंगे कि अजित पवार और शरद पवार रिश्ते में भले ही चाचा और भतीजा हों। लेकिन संबंध पिता और पुत्र की तरह था।

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कौन हैं अजित पवार

पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को अहमदनगर जिले के देवलाली प्रवरा में उनके दादा के घर पर हुआ था।उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा देवलाली प्रवरा में पूरी की। वह पुणे जिले के बारामती तालुका के काटेवाड़ी गांव के रहने वाले हैं। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे हैं। पवार शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अनंतराव ने शुरुआत में मुंबई में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता वी.शांताराम के राजकमल स्टूडियो के लिए काम किया था। पवार के दादा, गोविंदराव पवार, बारामती सहकारी व्यापार में कार्यरत थे और उनकी दादी परिवार के खेत की देखभाल करती थीं।पवार कॉलेज की डिग्री हासिल कर रहे थे। हालांकि अपने पिता की मृत्यु की वजह से उन्होंने अपने परिवार की देखभाल में मदद करने के लिए पढ़ाई छोड़ दी।

शानदार राजनीतिक करियर

जब पवार देवलाली प्रवरा में अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। उनके चाचा शरद पवार सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में एक उभरते हुए राजनीतिक व्यक्ति थे।अधिक व्यापक शिक्षा के लिए पवार तत्कालीन बंबई चले गए। पवार ने 1982 में राजनीति में कदम रखा, जब वह एक सहकारी चीनी कारखाने के बोर्ड के लिए चुने गए। वह 1991 में पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में चुने गए और 16 वर्षों तक इस पद पर रहे। इस अवधि के दौरान उन्हें बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य के रूप में भी चुना गया। बाद में उन्होंने अपने चाचा शरद पवार के पक्ष में अपनी लोकसभा सीट खाली कर दी, जो उस समय पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में रक्षा मंत्री बने थे। बाद में, उन्हें बारामती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान सभा में विधायक बने। अजित पवार 1995, 1999, 2004, 2009 और 2014 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए। वह सुधाकरराव नाइक की सरकार में कृषि और बिजली राज्य मंत्री बने।

शरद पवार जब मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में लौटे तो वह मृदा संरक्षण तो उन्हें बिजली और योजना राज्य मंत्री बने। 1999 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता में आया तो विलासराव देशमुख की सरकार में पवार को सिंचाई विभाग में कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया। सुशील कुमार शिंदे की सरकार में उन्हें ग्रामीण विकास विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। 2004 में जब कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सत्ता में लौटा, तो उन्होंने देशमुख सरकार में और बाद में अशोक चव्हाण सरकार में जल संसाधन मंत्रालय बरकरार रखा।23 नवंबर 2019 को, पवार ने अपनी पार्टी की सहमति के बिना भाजपा के साथ महाराष्ट्र राज्य के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने एनसीपी विधायकों के हस्ताक्षर वाला कागज राज्य के राज्यपाल को सौंपा। वह 80 घंटे से भी कम समय तक इस पद पर रहे और देवेन्द्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार में सबसे कम कार्यकाल में डिप्टी सीएम बने।

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ललित राय author

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