कौन हैं बाहुबली धनंजय सिंह जो 'मरकर' भी हो गए थे जिंदा...क्या खत्म हो गया सियासी करियर?

एक वक्त निर्दलीय ही जौनपुर से चुनाव जीतने वाले धनंजय सिंह पिछले कुछ वक्त से न सिर्फ खुद चुनाव हार रहे हैं बल्कि उनकी तरफ से खड़े किए गए उम्मीदवारों को भी हार ही नसीब हो रही है।

धनंजय सिंह

Dhananjay Singh: कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। धनंजय सिंह पर हत्या का पहला आरोप तब लगा जब वो स्कूल में पढ़ रहे थे। साल था 1990। महर्षि विद्या मंदिर के शिक्षक गोविंद उनियाल की हत्या हो गई थी। आरोप लगा धनंजय सिंह पर लेकिन पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई। दो साल बाद यानी 1992 में धनंजय सिंह जौनपुर के तिलकधारी सिंह इंटर कॉलेज में बोर्ड का इम्तिहान दे रहे थे। धनंजय पर एक बार फिर एक युवक की हत्या का आरोप लगा। आखिरी के तीन पेपर धनंजय सिंह ने पुलिस की हिरासत में दिए। ये धनंजय सिंह के अपराध की दुनिया में दाखिले के दिन थे।

90 के दशक में मचाया कोहराम

स्कूल और कॉलेज के किस्सों के बाद धनंजय सिंह पहुंचे लखनऊ यूनिवर्सिटी। ये 90 का दशक था जब माफियाओं और बाहुबलियों को न सिर्फ राजनीतिक शरण प्राप्त था बल्कि आम जनता भी ऐसे ही लोगों पर निसार हुआ करती थी। वजह चाहे जाति हो या इलाका। धनंजय सिंह की दोस्ती अभय सिंह, बबूल सिंह और दयाशंकर सिंह जैसे छात्र नेताओं से हुई जो माफिया इन प्रोग्रेस थे। यूनिवर्सिटी में दबदबा कायम हो गया तो रेलवे टेंडर की नीलामी, जो उन दिनों माफियाओं की कमाई का बड़ा ज़रिया होते थे, उसमें भी धनंजय सिंह ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। वसूली और रंगदारी का धंधा चल निकला था। लेकिन इसी बीच एक कांड हो गया। 1997 में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर गोपाल शरण श्रीवास्तव की हत्या हो गई। इस हत्याकांड में धनंजय सिंह नामजद हुए और उन पर 50 हजार का ईनाम घोषित किया गया। फरार हो चुके धनंजय सिंह पर इस वक्त तक हत्या और डकैती समेत 12 मुकदमे दर्ज हो चुके थे। धनंजय सिंह की फरारी के दौरान रेलवे की वसूली का पैसा उनके दोस्त अभय सिंह के पास आने लगा। लेकिन बाद में यहीं पैसा दोनों की दुश्मनी की वजह बनने वाला था।

पुलिस ने किया फेक एनकाउंटर

इस बीच 17 अक्टूबर 1998 को भदोही पुलिस ने धनंजय सिंह और उनके तीन साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया। जी हां, पुलिस का दावा ऐसा ही था कि 50 हजार के ईनामी बदमाश धनंजय सिंह को उसके 3 साथियों के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया। 6 महीने बाद जब धनंजय सिंह ने आत्मसमर्पण किया तब पुलिस के फेक एनकाउंटर का राज खुला। इस फेक एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए। भदोही की जिला अदालत में आज भी ये केस चल रहा है।
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