Bajran Dal : क्या है बजरंग दल, जानिए कब और क्यों हुई इस संगठन की शुरुआत
Bajrang Dal : बजरंग दल का गठन 8 अक्टूबर 1984 को हुआ। इस दल को बनाने का मकसद संतों की यात्रा को सुरक्षा देना था। इस हिंदूवादी संगठन के गठन का इतिहास अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा हुआ है। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं में जागरूकता पैदा करने के लिए संतों की एक यात्रा निकाली जा रही थी। विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को आशंका था कि संतों की इस यात्रा पर हमला हो सकता है।
कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
Bajrang Dal : बजरंग दल इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल, कर्नाटक चुनाव के लिए कांग्रेस ने जो अपना घोषणा पत्र जारी किया उसमें उसने कहा कि सत्ता में आने पर वह इस हिंदू वादी संगठन पर प्रतिबंध लगा देगी। साथ ही कांग्रेस के नेताओं ने बजरंग दल की तुलना प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से कर दी। इस वादे के बाद कांग्रेस पार्टी विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के निशाने पर आ गई। कर्नाटक चुनाव में बजरंग बली और बजरंग दल मुद्दा बन गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैलियों में बजरंग बली के जरिए कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। यहां हम आपको बजरंग दल और उसके इतिहास के बारे में बताएंगे।
बजरंग दल क्या है
बजरंग दल का गठन 8 अक्टूबर 1984 को हुआ। इस दल को बनाने का मकसद संतों की यात्रा को सुरक्षा देना था। इस हिंदूवादी संगठन के गठन का इतिहास अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा हुआ है। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं में जागरूकता पैदा करने के लिए संतों की एक यात्रा निकाली जा रही थी। विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को आशंका था कि संतों की इस यात्रा पर हमला हो सकता है। हिंदू वादी नेताओं ने उस समय की कांग्रेस सरकार से सुरक्षा की मांग की लेकिन राज्य सरकार ने संतों की यात्रा को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया। बजरंग दल संगठन को शुरू करने के जिम्मेदारी हिंदू जागरण मंच के विनय कटियार को दी गई।
हिंदू पहचान की सुरक्षा के लिए काम करता है बजरंग दल
'बजरंग' नाम हिन्दू राम भक्त हनुमान पर आधारित है। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा है। इसका आधार देश के उत्तरी और मध्य भाग है। यह समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)की शाखाओं (शाखाओं) के समान लगभग 2,500 अखाड़े चलाता है। हिंदू विचारधारा, हिंदू संस्कृति का संरक्षण और हिंदू पहचान की सुरक्षा के लिए बजरंग दल काम करता है। यह संगठन कई बार विवादों में आया है। छह दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध भी लगा था। इस संगठन पर हिंसा और नैतिक पुलिसिंग के आरोप भी लगते हैं। बजरंग दल मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन भी चलाता है।
बजरंग दल पर सियासत गरमाई
बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद सियासत गर्म है। कांग्रेस शासित राज्यों के अलावा विपक्ष के अन्य नेताओं ने इस हिंदूवादी संगठन की आलोचना करते हुए इस पर बैन लगाने की बात कही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि जरूरत होगी तब राज्य में भी परिस्थिति के अनुसार बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 'बजरंगबली हमारे आराध्य हैं। वह बजरंग नाम जोड़कर गुंडागर्दी कर रहे हैं, यह तो उचित नहीं है।' महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि यह महाराष्ट्र में भी लागू हो सकता है। कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के चुनावी घोषणा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने को कांग्रेस को घेरा और राजस्थान में सत्तारूढ़ दल को इस राज्य में दक्षिणपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने की चुनौती दी।
बजरंग दल पर घिरता देख कांग्रेस के सुर नरम पड़े
कांग्रेस की घोषणा के बाद विहिप, बजरंग दल के कार्यकर्ता गुरुवार को सड़कों पर उतर आए। कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के प्रस्ताव के खिलाफ कुछ जगहों पर ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ किया। भाजपा एवं हिंदू संगठनों के निशाने पर आने के बाद कांग्रेस के सुर कुछ नरम दिखे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई सुझाव नहीं है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल की तुलना एक देश विरोधी संगठन पीएफआई से करते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है, जो उसके लिए घातक सिद्ध होगी।
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