क्रिकेट के शौकीन भूपेंद्र पटेल कभी बेचते थे पटाखे, इंजीनियरिंग-बिजनेस के रास्ते 'सीधे बने' CM, आनंदीबेन-PM मोदी के हैं खास
Who is Bhupendra Patel: आम तौर पर कम बोलने वाले भूपेंद्र पटेल की छवि एक सरल नेता की है। वह अक्सर शर्ट और ट्राउजर्स में देखे जाते हैं, जबकि पीएम मोदी उन्हें "मृदु अने मक्कम" यानी सॉफ्ट और दृढ़ (अडिग) बता चुके हैं।
भूपेंद्र पटेल को मानने और चाहने वाले प्यार से दादा कहकर भी पुकारते हैं। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
Who is
वैसे, पेशे से वह इंजीनियर और बिल्डर हैं। कॉलेज से पासआउट होने के बाद उन्होंने तीन साल तक एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम किया, जबकि बाद में नारायणपुर इलाके में उन्होंने अपने कॉलेज के आठ दोस्तों के साथ मिलकर एक रिहायशी प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। इसका नाम- वरदान टावर था। चुनावी हलफनामे के मुताबिक, उनके पास सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा है, जबकि वह विहार एसोसिएट्स नाम की कंस्ट्रक्शन फर्म चलाते हैं, जिसका काम-काज बेटा और दामाद मिलकर संभालते हैं। हालांकि, कंपनी का नाम बदलकर अंश कंस्ट्रक्शन किया जा चुका है।
कडवा पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पटेल की छवि प्रतिबद्ध, साफ-सुथरी और गैर-विवादित पार्टी नेता की है। उन्हें गहरा आध्यात्मिक व्यक्ति भी माना जाता है। कहा जाता है कि वह जीवित तीर्थंकर सीमंधर स्वामी के अनुयायी हैं। क्रिकेट-बैडमिंटन जैसे आउटडोर गेम्स में दिलचस्पी रखने वाले 62 साल के पटेल बीजेपी नेताओं और चाहने वालों के बीच दादा नाम से जाने जाते हैं।
साल 1995-1996 में मेमनगर नगरपालिका के सदस्य बने और इसी के साथ उनके सियासी करिअर का आगाज हो गया। आगे 1995 के आसपास उन्हें मेमनगर म्युनिसिपालिटी का अध्यक्ष बना दिया गया और उन्होंने इस पद पर वहां दो कार्यकाल पूरे किए। पहला 1999 से 2000 के बीच, जबकि दूसरा साल 2004 से 2006 के बीच।
फिर उन्होंने 2010 में थालतेज वॉर्ड से अहमदाबाद नगर निगम चुनाव लड़ा और आगे दो बार एएमसी स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष बने। 2015-17 के बीच वह अहमदाबाद अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एयूडीए) के अध्यक्ष रहे। 2012 के विस चुनाव में उन्होंने आनंदीबेन पटेल के चुनाव प्रचार का काम संभाला और उसमें अहम भूमिका निभाई थी। वह आनंदीबेन के करीबी हैं, जबकि वह उनकी सियासी गुरु बताई जाती हैं।
उनमें और नरेंद्र मोदी में एक बात सामान्य है कि वह भी उनकी तरह सीधे मंत्री नहीं बल्कि मुख्यमंत्री बने। दरअसल, पोरबंदर में अवैध कंस्ट्रक्शन के खिलाफ उनका रवैया और एक्शन इतना सख्त था कि उन्हें तब बुलडोजर दादा नाम दे दिया गया था। 2017 में पटेल ने अपना पहला उसी विधानसभा चुनाव लड़ा और वह तब 1,17,750 वोटों की रिकॉर्ड मार्जिन से जीते थे। आगे कद और पद दोनों बढ़े और चार साल बाद वह सीएम की गद्दी तक पहुंचे।
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